इस अवधारणा को उन लोगों के मरणोपरांत मस्तिष्क परीक्षण (पोस्टमॉर्टम बे्रन) में पाए गए असामान्य रूप से कम ग्लूटामेट अभिग्राहकों के स्तर से भी समर्थन मिलता है, जिनका पहले सिज़ोफ्रेनिया के लिए इलाज किया गया था 199, और साथ ही यह खोज कि ग्लूटामेट अवरोधी दवाईयाँ जैसे फिनसाइक्लिडीन और केटामाइन इन परिस्थितियों से जुड़े लक्ष्णों और संज्ञानात्मक समस्याओं का अनुकरण कर सकती है.