11. कि अतः मैंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, लखनऊ के पास धारा 154 (3) सीआरपीसी के प्रावधानों के अधीन एक प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया कि कृपया इस धारा में निहित शक्तियों और उत्तरदायित्व के अधीन तत्काल प्रभारी निरीक्षक, महानगर को एफआईआर दर्ज कर अग्रिम विवेचना किये जाने हेतु निर्देशित करें.
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लोकपाल द्वारा जिन मामलों की जांच की जा सकती है-इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन लोकपाल किसी ऐसे कार्य की जांच कर सकता है जो किसी लोकसेवक के द्वारा किया गया हो, अथवा उसकी सामान्य या विशिष्ट स्वीकृति से किया गया हो, जिसकी शिकायत की रिपोर्ट की गई हो अथवा ऐसे कार्य के बारे में कोई आरोप लगाया गया हो.
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16. लोकपाल द्वारा जिन मामलों की जांच की जा सकती है-इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन लोकपाल किसी ऐसे कार्य की जांच कर सकता है जो किसी लोकसेवक के द्वारा किया गया हो, अथवा उसकी सामान्य या विशिष्ट स्वीकृति से किया गया हो,जिसकी शिकायत की रिपोर्ट की गई हो अथवा ऐसे कार्य के बारे में कोई आरोप लगाया गया हो.
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16. लोकपाल द्वारा जिन मामलों की जांच की जा सकती है-इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन लोकपाल किसी ऐसे कार्य की जांच कर सकता है जो किसी लोकसेवक के द्वारा किया गया हो, अथवा उसकी सामान्य या विशिष्ट स्वीकृति से किया गया हो, जिसकी शिकायत की रिपोर्ट की गई हो अथवा ऐसे कार्य के बारे में कोई आरोप लगाया गया हो.
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16. लोकपाल द्वारा जिन मामलों की जांच की जा सकती है-इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन लोकपाल किसी ऐसे कार्य की जांच कर सकता है जो किसी लोकसेवक के द्वारा किया गया हो, अथवा उसकी सामान्य या विशिष्ट स्वीकृति से किया गया हो, जिसकी शिकायत की रिपोर्ट की गई हो अथवा ऐसे कार्य के बारे में कोई आरोप लगाया गया हो.
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16. लोकपाल द्वारा जिन मामलों की जांच की जा सकती है-इस अधिनियम के प्रावधानों के अधीन लोकपाल किसी ऐसे कार्य की जांच कर सकता है जो किसी लोकसेवक के द्वारा किया गया हो, अथवा उसकी सामान्य या विशिष्ट स्वीकृति से किया गया हो, जिसकी शिकायत की रिपोर्ट की गई हो अथवा ऐसे कार्य के बारे में कोई आरोप लगाया गया हो.
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और शायद यह आपराधिक दंड के प्रावधानों के अधीन भी आ सकता है-महानगरो के कलाकार कई बार खुद के अच्छे कार्यों के लम्बे समय तक अभिस्वीकृत (रिकगनायिज) न होते देख भी निराशा में भरकर ऐसे हथकंडो को तात्कालिक नेम और फेम पाने के लिए उठाते हैं जो दरसअल लांग रन में उनके लिए ही प्रतिगामी (काउंटर प्रोडक्टिव) हो उठते हैं...
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और शायद यह आपराधिक दंड के प्रावधानों के अधीन भी आ सकता है-महानगरो के कलाकार कई बार खुद के अच्छे कार्यों के लम्बे समय तक अभिस्वीकृत (रिकगनायिज) न होते देख भी निराशा में भरकर ऐसे हथकंडो को तात्कालिक नेम और फेम पाने के लिए उठाते हैं जो दरसअल लांग रन में उनके लिए ही प्रतिगामी (काउंटर प्रोडक्टिव) हो उठते हैं...ऐसी तात्कालिक शोहरत पाने की प्रवृत्ति से नए कलाकारों को बचना चाहिए-हुसैन की नक़ल एक नए कलाकार के लिए आत्मघाती हो सकती है अगर उसका काम एक विकृत मानसिकता लिए हुए है......”