वे पैरेन्काइमा कोशिकाएं जिनमें कई क्लोरोप्लास्ट होते हैं और प्रकाश संश्लेषण का कार्य करते हैं उन्हें क्लोरेन्काइमा कोशिकाएं कहते हैं.
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१९६७ में आरनोन ने बताया कि क्लोरोप्लास्ट में पायी जाने वाली प्रोटीन फैरोडोक्सिन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में मुख्य कार्य करती है।
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[1] ये एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के ऊपरी सतह पर पाये जाते हैं, इसके अलावा ये माइटोकाण्ड्रिया तथा क्लोरोप्लास्ट में भी पाये जाते हैं।
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यह तुलसी के पत्ते में पाये जाने वाले ज्योतिरार्णव (रेसिफिलिक क्लोरोप्लास्ट) की विलेयता को त्वरित श्रींखलाबद्ध गति प्रदान करता है.
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काम्प्लेक्स की ओर बहते हैं, जो उनकी ऊर्जा का प्रयोग क्लोरोप्लास्ट की थायलकायड झिल्ली के पार प्रोटानों को पम्प करने के लिये करते हैं.
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१ ९ ६ ७ में आरनोन ने बताया कि क्लोरोप्लास्ट में पायी जाने वाली प्रोटीन फैरोडोक्सिन प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में मुख्य कार्य करती है।
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क्लोरोप्लास्ट व माइटोकॉन्ड्रिया के अधिग्रहण के दौरान यूकेरियोटिक (eukaryotic) कोशिकाओं तथा प्रोकेरियोट जीवों (prokaryotes) के बीच भी बड़े पैमाने पर जीन स्थानांतरण हो सकता है.
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एनिमिया अर्थात् रक्त की कमी से ग्रस्त कई रोगियों को भ्रपूर मात्रा में क्लोरोप्लास्ट देने पर उनके रूधिर में आश्चर्यजनक रूप से वृद्घि पाई गई है।
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एनिमिया अर्थात् रक्त की कमी से ग्रस्त कई रोगियों को भ्रपूर मात्रा में क्लोरोप्लास्ट देने पर उनके रूधिर में आश्चर्यजनक रूप से वृद्घि पाई गई है।
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कुछ समुद्री घोंघे अपने आहार के माध्यम से शैवाल आदि पौधों को ग्रहण करते हैं तथा इनमें मौजूद क्लोरोप्लास्ट का प्रयोग प्रकाश-संश्लेषण के लिए करते हैं।