भूमि की ऊपरी सतह भूरे रंग की होती है जिस पर रेह या सफेद लवण प्रचुर मात्रा में रहते है तथा नीचे की सतह क्षारीय भूमि की भांति सख्त होती है।
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सामान्य भूमि में जिंक सल्फेट ओ. सी.आई. 21% जिंक का प्रयोग 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर की दर से उपयुक्त रहता है परन्तु क्षारीय भूमि में यह मात्रा 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टर उचित पाई गई है।
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पिछले दस सालों के अनुसंधान से गेहूं की किस्म के ऐसे प्रभेद केआरएल-99 को ढूंढने में सफलता मिली है, जिसमें लवणीय एवं क्षारीय भूमि के साथ-साथ जलग्रस्तता में अच्छी पैदावार देने की क्षमता है।
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7. गेहूं की फसल के पश्चात गर्मियों में ढैंचा की हरी खाद लेना आदि, इन्हीं सब बातों का ध्यान रखते हुए किसान क्षारीय भूमि को सुधार सकता है तथा इनमें अच्छी पैदावार ले सकता है।
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पानी भरने वाली, कंकरीली, पथरीली, छिछली औरआधिक क्षारीय भूमि को छोड़कर आम लगभग सभी प्रकार की भूमी में, जिसमें जल निकासका समुचित प्रबन्ध हो, आसानी से उगाया जा सकता है, परन्तु गहरी दोमट भूमि सबसेअच्छी होती है.
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पंजाब और हरियाणा में सिंचाईं के जो आधुनिक संसाधन हरित क्रांति के उपाय साबित हुए थे, वही उपाय खेतों में पानी ज्यादा मात्रा में छोड़े जाने के कारण कृषि भूमि को क्षारीय भूमि में बदलने के कारक सिद्ध हो रहे हैं।
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भूमि विकास कार्यों जैसे भूमि समतलीकरण के समय सिंचाई के पानी की व्यवस्था करना, मेंड़ निर्माण, जुताई, कृषि, सामुदायिक जल निकासी, भूमि सुधार के लिए जैविक खाद का उपयोग आदि क्षारीय भूमि को सामान्य बनाने की प्रक्रिया के प्रमुख कार्य होते हैं।
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पंजाब और हरियाणा में सिंचाईं के जो आधुनिक संसाधन हरित क्रांति के उपाय साबित हुए थे, वही उपाय खेतों में पानी ज् यादा मात्रा में छोड़े जाने के कारण कृषि भूमि को क्षारीय भूमि में बदलने के कारक सिद्ध हो रहे हैं।
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अरावा में लवणीय व क्षारीय भूमि में खारे पानी से बीज रहित ग्राफ्टेड तरबूज की खेती देखकर यह महसूस किया कि यह तकनीक राजस्थान के लिए वरदान साबित हो सकती है व इस तकनीक से राजस्थान के मरू जिलों के किसानों को लाभ पहुंच सकता है।
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भूमि विकास कार्यों जैसे भूमि समतलीकरण के समय सिंचाई के पानी की व्यवस्था करना, मेंड़ निर्माण, जुताई, कृषि, सामुदायिक जल निकासी, भूमि सुधार के लिए जैविक खाद का उपयोग आदि क्षारीय भूमि को सामान्य बनाने की प्रक्रिया के प्रमुख कार्य होते हैं।