उसकी चिकित्सा के लिए मन के शरीराश्रित होने से शारीरिक शुद्धि आदि के साथ ज्ञान, विज्ञान, संयम, मन: समाधि, हर्षण, आश्वासन आदि मानस उपचार करना चाहिए, मन को क्षोभक आहार विहार आदि से बचना चाहिए तथा मानस-रोग-विशेषज्ञों से उपचार कराना चाहिए।
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इस रेलयात्रा का यह दृश्य किन्हीं अनुकूलित वज़हों से (रेलयात्रा से सम्बंधित उसके पूर्व के अनुभवों के जरिए) एक गहरी सांवेदनिक अनुक्रिया पैदा करता है जो कि चेतन मस्तिष्क के लिए एक आंतरिक क्षोभक की तरह कार्य करती है और चेतन मस्तिष्क अपनी सुषुप्तावस्था में भी इस क्षोभक के प्रति प्रतिक्रिया करने लगता है।
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इस रेलयात्रा का यह दृश्य किन्हीं अनुकूलित वज़हों से (रेलयात्रा से सम्बंधित उसके पूर्व के अनुभवों के जरिए) एक गहरी सांवेदनिक अनुक्रिया पैदा करता है जो कि चेतन मस्तिष्क के लिए एक आंतरिक क्षोभक की तरह कार्य करती है और चेतन मस्तिष्क अपनी सुषुप्तावस्था में भी इस क्षोभक के प्रति प्रतिक्रिया करने लगता है।
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जैसा कि ज्ञात है, अनुकूलित (conditioned) प्रतिवर्त इससे पैदा होता है कि किसी अनुकूलित क्षोभक (उदाहरणार्थ जलती-बुझती बत्ती) का किसी अननुकूलित (unconditioned) उत्तेजक की क्रिया (उदाहरणार्थ, खाने की वस्तु देना) से संयोजन किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप मस्तिष्क में दो केंद्रों (दृष्टि और आहार से संबंधित केंद्रों) के बीच अल्पकालिक तंत्रिका संपर्क उत्पन्न हो जाता है और जीव के दो क्रियाकलाप (दृष्टि और आहार से संबंधित क्रियाकलाप) आपस में जुड़ जाते हैं।