बस या टैक्सी से आप सुगमता से मण्डल पहुँच सकते हैं और मण्डल से लगभग ५-६ किलोमीटर की खडी चढाई चढने के बाद आप अनसूइया देवी मन्दिर मे पहुँच सकते हैं।
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समुद्र तल से ऊंचाई और खडी चढाई पर चलने के कारण मुझे सांस लेने में कठिनाई हो रही थी, कहीं रास्ते में कोई परेशानी न हो, इस कारण मैने घोडा करने का निश्चय किया।
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दूरी लगभग दो-ढाई किलोमीटर ही है, लेकिन हमें इसको तय करने में ही सवा घंटा लग गया था, एक किलोमीटर एकदम खडी चढाई है, दो-तीन बर्फ़ के ग्लेशियर भी पार करने पडते है।
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पहाड की खडी चढाई और धार पर चलने के इस सफर को मेरे साथी जाट देवता संदीप पंवार और राकेश विश्नोई अभी हाल फिलहाल में ही करके गये थे और उसे लिख भी चुके हैं ।
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उत्तराखण्ड के अल्मोडा जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर रानीखेत जाने के मार्ग पर कटारमल गांव में करीब सात हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सूर्य मंदिर जाने के लिए तीन किलोमीटर की खडी चढाई पैदल चढनी पडती है।
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इस चढाई को देख कर एक बार तो मेरी सिटी-पिटी ही गुम सी हो गयी थी, सामने एक किलोमीटर से ज्यादा की खडी चढाई नजर आ रही थी, और चढाई भी ऐसी कि जिसके सामने डंडीधार की चढाई भी पानी माँगने लगे।
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इस चढाई को देख कर मेरी तो सिटी-पिटी ही गुम सी हो गयी थी, सामने एक किलोमीटर से ज्यादा की खडी चढाई नजर आ रही थी, और चढाई भी ऐसी कि जिसके सामने डंडीधार की चढाई भी पानी माँगने लगे।
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दूरी लगभग दो-ढाई किलोमीटर ही थी, लेकिन हमें इसको तय करने में ही सवा घंटा लग गया था, इस छोटी सी दूरी में एक किलोमीटर एकदम खडी चढाई है, दो-तीन बर्फ़ के छोटे-छोटे ग्लेशियर जैसे दिखने वाले ढेर भी पार करने पडते है।
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सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित यह एक गुफा मन्दिर है, गोपेश्वर से 15 कि 0 मी 0 दूर सीधे खडी चढाई से हिमालय में स्थित है, शीत काल में रुद्रनाथ की मूर्ति डोली से गोपेश्वर में आ जाती है और गर्मी प्रारम्भ होने बद्रीनाथ की तरह कपाट खुलते हैं ।
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और वहीं पर अब भी एक कडाही में ब्रैड पकौडे तलते रहते हैं ताजे ताजे जिन्हे खाकर फिर खाना भी नही खाने का मन करता है और अगर कोई राजपुर मार्ग को होकर मसूरी नही गया है तो एक बार जरूर जाना चाहिये ये मार्ग थोडी खडी चढाई का तो है पर बार बार जाने वालो को एक नया रोमांच देता है आपकी याददाश्त का जबाब नही