@ रश्मि जी, देर से आने के लिए खेद पर कहानी बड़ी जानी पहचानी सी लगी! सरिता को रिश्तों की समझ देर से हुई पर हुई तो सही! मेरे ख्याल से पत्नी के बिछोह से पीड़ित वीरेंद्र के इरादे नेक नहीं थे और सरिता से सतत नैकट्य की असफलता ने उसे खलनायकत्व प्रदान कर दिया है!