| 31. | और मन की ख़याली फैक्ट्री ने एक ख़याल और प्रड्यूस किया... ये हेलमेट में वाइपर्स क्यूँ नहीं होते... अँधेरा भी कुछ बढ़ गया था...
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| 32. | अगला पैग़म्बर उन्हीं की “आला” (कमज़र्फ़) नस्ल से आना था, जो उन की सिर्फ़ ख़ाम ख़याली ही नहीं है, बल्कि यह उन की इजारादाराना
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| 33. | बोर्खेस का ये ख़याली / कल्पित बनारस, असल बनारस से कोसो दूर है आप में से कितने लोग कभी बनारस गए है?....
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| 34. | समस्या पर इंटरनेट से कनेक्ट नहीं कर सके कायम “, मैं गूगल से एक बहुत उम्मीद है, तो मैं बहुत निराश हूँ” आत्म-ख़याली
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| 35. | पेशेवर ईमानदारी के पैमाने जिस मायूसी और अनिच्छा से लागू होते हैं, उनसे बेहतर भविष्य बुनने में धीमी आंच महसूसना ख़याली पुलाव ज़्यादा है।
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| 36. | पुलाव के प्रति इसी ललक ने हिन्दी-उर्दू में एक खास मुहावरा बना डाला है-ख़याली पुलाव पकाना अर्थात् कल्पनालोक में घूमना, हवाई किले बनाना आदि।
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| 37. | ख़याली डायरी में काले घोड़े की उड़ान दर्ज़ कर मन की रेल की खिड़कियों से जंगलों पर तरबूज के फांक-से दौड़ते चांद को मैं तकता रहूंगा.
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| 38. | पुलाव के प्रति इसी ललक ने हिन्दी-उर्दू में एक खास मुहावरा बना डाला है-ख़याली पुलाव पकाना अर्थात कल्पनालोक में घूमना, हवाई किले बनाना आदि।
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| 39. | मुहम्मद बे ख़याली में कभी कभी कोई माक़ूल बात भी कह जाते हैं, यह भूलते हुए कि यह बात उनकी पैगंबरी के ख़िलाफ़ जाती है,
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| 40. | आप उनको रहने दीजिए कि वह खा लें और चैन उड़ा लें और ख़याली मंसूबा उन्हें ग़फलत में डाले रखें, उन्हें अभी हक़ीक़त मालूम हुई जाती है ''
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