लोगों की भलाई में कोई काम किए बिना ही बुरे काम का अंजाम भुगत कर मरने वालों को भी शहीद का खि़ताब और सम्मान देना, सच्चे शहीदों की अज़्मत को कम करना है।
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वे किसी को भी अपने शरीर से आनंद लेने देती हैं, उनके इस अमल को हमारे समाज में कोई भी ‘उदारता‘ का नाम नहीं देता और न ही उसे कोई महानता का खि़ताब देता है।
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इससे भी आगे बढ़कर देश के प्रति उनकी वफ़ादारी पर भी सवाल खड़े किए गए और जब ऐतराज़ करने वालों को उन्होंने खरा जवाब दिया तो उन्हें जिहादी और धर्मयोद्धा तक का खि़ताब दे दिया गया।
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इसके बाद अपनी वफ़ात से तक़रीबन ढाई महीने पहले जब आपने आखि़री हज अदा किया और अरफ़ात के मैदान में अपने अस्हाब को खि़ताब फ़रमाया, उस वक्त आपके पास सहाबा की तादाद 1 लाख से ज़्यादा थी।
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अपने प्रोफ़ाइल से वह ख़ुद को ‘लौह कन्या‘ कहती है तो भाई के प्रोफ़ाइल से अपने दावे की तस्दीक़ कर देती है बल्कि इससे भी आगे बढ़कर ख़ुद को भारत माता का खि़ताब भी दे देती है।
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इसके बाद अपनी वफ़ात से तक़रीबन ढाई महीने पहले जब आपने आखि़री हज अदा किया और अरफ़ात के मैदान में अपने अस्हाब को खि़ताब फ़रमाया, उस वक्त आपके पास सहाबा की तादाद 1 लाख से ज़्यादा थी।
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वे किसी को भी अपने शरीर से आनंद लेने देती हैं, उनके इस अमल को हमारे समाज में कोई भी ‘ उदारता ‘ का नाम नहीं देता और न ही उसे कोई महानता का खि़ताब देता है।
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(अपने असहाब से खि़ताब फ़रमाते हुए)-तुम अल्लाह की दी हुई करामत से इस मन्ज़िल पर पहुँच गए जहां तुम्हारी कनीज़ों का भी एहतराम होने लगा और तुम्हारे हमसाये से भी अच्छा बरताव होने लगा।
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अपने प्रोफ़ाइल से वह ख़ुद को ‘ लौह कन्या ‘ कहती है तो भाई के प्रोफ़ाइल से अपने दावे की तस्दीक़ कर देती है बल्कि इससे भी आगे बढ़कर ख़ुद को भारत माता का खि़ताब भी दे देती है।
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भारत के सभी लोग और ख़ास कर जालंधर शहरी के लिए यह बड़ी ख़ुशी और सम्मान वाली बात होगी कि पुनीत गुलाटी नाम के भारतीय ने पहली बार मिस्टर मेलबोर्न-2013 का खि़ताब हासिल करके देश का नाम रौशन किया है।