दुलैयाजू वशीकरण मंत्र है और कचनार टोना उतारने वाला यंत् र... ' डरू नें हँस कर कहा, '' दुलैयाजू लड्डू हैं और कचनार खुरमा, गुटगुटा।
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खुरमा बतासा चढ़ाए और तभी सबके बीच से भंगी महाराज ने शंख फूँका और कहा कि गाँव पर दया करो हे कुण्डू महाराज हम हर साल तुम्हारी पूजा करेंगे।
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१. कौकरपान या केकरपान-सोने-चाँदी की पान की तरह पतली पत्ती का बना एक गोलाकर आभूषण, जिसमें खुरमा की बनक बनी रहती है और जो माँग में पहना जाता है ।
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पक्की रसोई में पूड़ी, कचौड़ी, पपरिया, खाजे, तिरकारी, मालपुआ, लडुआ, मोहनभोग, खीर, खुरमी-खुरमा, पुआ, पूरी, चटनी आदि पकवान होते थे।
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पटना में मौर्यालोक में बेलीरोड से सटे हुए दुकानों में एक मिठाई की दूकान है, वहाँ भी बिलकुल वही स्वाद वाला खुरमा मिलता है, बस आरा के दाम से दो-तीन गुना महंगा मिलेगा वहाँ..
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पेड़े, लड्डू, कलाकंद, रसगुल्ले, गुलाब जामुन, बर्फी, गुझिये, खुरमा, बालूशाही, इमरती, जलेबी, आदि तरह तरह की रंगीन मिठाइयाँ चांदी का वर्क चढ़ाकर सीढ़ीनुमा पटलों हरी चादरों पर रखी हुए थी.
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बुन्देलखण्ड के विशिष्ट व्यंजनों में डुबरी, रसयावर, फरा, चीला, सतुआ, खींचला, कचरियां, खुरमा, मालपुआ, तसमई, सन्नाटौ, गुलगुला, मगौरा, गुझिया, पपरियां, ठड़ूला, सुरा आदि बहुत से हैं जो लोक को ने केवल हष्टपुष्ट रखते हैं ।
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समय समय पर बनने वाले मीठे और नमकीन पकवानों में लाडू, पपची, पीडिया, अईरसा, बबरा, गुलगुला, खाजा, कुसली, रोंठ, खुरमा, कतरा पकुआ, दहरौरी, दूध फरा, बबरा, घारी, चीला, चौसेला, भकोस, फरा, बफौरी, ईढर, ठेठरी खुरमी, बटकर, डुबकी, अपना अलग-अलग स्वाद और रस बिखेरते हैं.