आपका सहयोग और इसे मिलाने वाला प्रतिसाद इस बात की गवाही है कि समाज अपनी बोली में खुलकर बोलना चाहता है. आख़िर ऐसा कौन है जो समाज को बेहतर बनता देखना नही चाहता? उल्टा तीर समाज का सामूहिक उदघोष है, समाज के हलक से बेहतरी के लिए निकली आवाज़ है।
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हमारी बेटी अच्छी खासी तनख्वाह लाती है उसका घर के काम में रूचि लेना कोई ज़रूरी नहीं.......! आज के ज़माने में खुलकर बोलना ज़रूरी है..... किसी से दबकर क्यों रहेगी.......! देखो बेटी तुम्हें तो अपने बच्चे और अपने पति से मतलब है...... परिवार से नहीं......! अरे.....