खेतिहर समाज को खेती के लिए लगातार जमीन की जरूरत पड़ती थी, चूंकि उस समय चारों ओर जंगल थे, तो उसके लिए वनों काटना और जलाना पड़ता था।
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मतलब, विकास के क्रम में खेतिहर समाज को जो चीजें सहज उपलब्ध होती गईं और लाभकारी बनीं उन्हें देव पुकारा गयाअग्नि की विकास क्रम में महत्वपूर्ण जगह है।
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सरकारी सूचना पट यह कहते नजर आते हैं कि प्रदेश की समृद्धि का रास्ता खेत खलिहान से होकर आता है परन्तु वे खेतिहर समाज के असली दर्द को नहीं समझ पाते।
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मानवता के अभिशापी खुशियों के पैगाम बांट रहे हैं और पटाखों के धूम धड़ाके में दिवाली की वह शालीनता और गरिमा मारी जा रही है, जिसका पैरोकार खेतिहर समाज रहा है।
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फिर भी इसे उपलब्धि ही माना जाना चाहिए कि पश्चिम बंगाल की मार्क् सवादी पार्टी वहां के खेतिहर समाज पर इतने लंबे समय तक अपना प्रभाव और नियंत्रण बनाए रखने में सफल रही है।
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वेदों में क्या है-कुमार मुकुल वेदों की आधारभूमि स्पष्ट है कि खेतिहर समाज के लिए वर्षा प्राथमिक जरूरत है, इसी तरह बादलों से वर्षा कराने वाले इंद्र की पूजा भी स्वाभाविक है।
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इसके खेतिहर समाज ने कबीर के भजनों में ऐसा क्या पाया की कबीर साहब के साधुओं को न सिर्फ़ अपने बीच जगह दी बल्कि रहने, खाने के लिए खेत, खलिहान बाग बगीचे और सामाजिक मान सम्मान भी?
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इसके खेतिहर समाज ने कबीर के भजनों में ऐसा क्या पाया की कबीर साहब के साधुओं को न सिर्फ़ अपने बीच जगह दी बल्कि रहने, खाने के लिए खेत, खलिहान बाग बगीचे और सामाजिक मान सम्मान भी?
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साथ ही भारत के खेतिहर समाज, जिस पर देश के तीन-चौथाई हिस्से के भरण-पोषण का जिम्मा है, की आवश्यकताओं तथा उनकी जरूरत संबंधी मूलभूत प्रश्नों मसलन, निर्धनता, निरक्षरता, स्वास्थ्य और आर्थिक-सामाजिक विषमता का समाधान खोजा जाना अभी बाकी है।
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भारत में आधुनिक उद्योगों के आने से पहले यहाँ चारों तरफ खेतिहर समाज था और भारत इन सबके लिए स्वर्ग कि तरह था क्योंकि खेती के लिए जरूरी सारी आवश्यकताएँ यहाँ थी-समतल जमीन, उपजाऊ मिट्टी, सिंचाई के लिए पर्याप्त जल, समजलवायु आदि।