विपक्षी सांसदों का कहना है कि यह प्रावधान परमाणु आपूर्तिकर्ता को जवाबदेही से मुक् त करने के मकसद से शामिल किया गया है, क् योंकि नीयत में खोंट साबित करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन होगा।
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लिखा है-समय्ा के हर प्रहर की अंशिका … व्य्ार्थ में इसको न खोएं … खोंट कर हम खेत खरपतवार बिन जैसे बनाते … ठीक वैसे ही प्रदूषित भावनाओं को विदा कर … जिंदगी रोशन बनाएं … ।
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धर दिया सिलबट पर टिकोरा को छीलकर सास बोल गई लहसुन संग पीस दे पतोहू मरिचा मिलाय दई खोंट ला पुदीना...-याद आ गया नल के बगल उगा हुआ पुदीना, जिसे खोंट के माई ले आती थीं और.....
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धर दिया सिलबट पर टिकोरा को छीलकर सास बोल गई लहसुन संग पीस दे पतोहू मरिचा मिलाय दई खोंट ला पुदीना...-याद आ गया नल के बगल उगा हुआ पुदीना, जिसे खोंट के माई ले आती थीं और.....
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सरकार ने बिल में प्रस् ताव किया है कि परमाणु आपूर्तिकर्ता को हादसे के लिए तभी जिम् मेदार माना जाएगा और उससे मुआवजा तभी लिया जाएगा जब यह साबित हो कि हादसा उसकी नीयत में खोंट की वजह से हुआ।
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भरी दुपहरी मर्दों को अगोर रही दुआरे खटिया खड़ी इसके पीछे की कहानी यह रही-धर दिया सिलबट पर टिकोरा को छीलकर सास बोल गई लहसुन संग पीस दे पतोहू मरिचा मिलाय दई खोंट ला पुदीना... बहू जम्हियाय उठ के न आय तो...
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लोकतंत्र में चुनाव इसलिए नहीं होते कि विदेश मंत्रालय कौन चलायेगा और वित्त मंत्रालय कौन चलायेगा।” आपकी सोच का जवाब नहीं.!!!नेताओं के लिए किसी पद को संभालने के लिए उपयुक्त योग्यता कि शर्त न होना हमारे लोकतंत्र का सबसे बड़ी खोंट है.
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बिहार में शिक्षक नियोजन के लिये नीतिस जी के मन में खोंट हैं या उनके आईपीएस ब्रेन वाले साथी के सोच का फेरा है रोज नियमाबली बदला जाता है बिभूतिपुर के abhyrthe का माने तो कैंप लगा कर प्रखंड बैज नियोजन पत्र बटना चाहि ए.
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मिडिया का चरित्र कैसा है, यह जगजाहिर है | सरकार की नीति में खोंट है, हर देश प्रेमी इसे समझ सकता है | आपके लेख में यह दोनों बातें जाहिर हैं | साम्प्रदायिकता घातक है वह चाहे अल्पसंख्यक की हो या बहुसंख्यक की | सार्थक प्रस्तुति का आभार...
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“ माँ ” शब्द कितना प्यारा है! सबसे पहले इस शब्द को किसने उच्चारण किया होगा?..... “ माँ ” तो माँ होती है! इसके प्यार या दूध में किसी तरह की खोंट या मिलावट नहीं होती! सृष्टी के जीवो में कहा वह शक्ति, जो माँ के दूध की कीमत चूका सके! हम तो जीवन-भर माँ के कर्ज को ढोते लिए फिरते है!