पर जब हम इस विषय में गंभीर भाव से विचार करते हैं तो हमको यह एक आध्यात्मिक घटना की तरह जान पड़ती है।
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16 जून सन् 1920 ई. की ' यंग इंडिया ' में उन्होंने लिखा था-” मुझे पक्का विशवास है कि किसी दिन हमारे द्राविड भाई-बहन, गंभीर भाव से हिंदी का अध्ययन करने लगेंगे.
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वह नहीं जानता था कि धरती को वह इतना प्यार करता है, आकाश ऐसे अचरज-भरा है, प्रकाश ऐसा अपूर्व होता है, सड़क पर अपरिचित यात्रियों का आना-जाना भी इस गंभीर भाव से सच है।
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गोरा जब-जब किसी गाँव में जाता वहाँ देव-मंदिर में प्रवेश करके गंभीर भाव से ध् यान करता हुआ मन-ही-मन कहता-यही मेरा विशेष स्थान है-एक ओर देवता और दूसरी ओर भक्त, दोनों के बीच सेतु-रूप ब्राह्मण दोनों को मिलाता है।
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नेउर को जिस शिकार की टोह थी वह आज मिलता हूआ जान पड़ा गंभीर भाव से बोला-बेटी मै न सिद्ध हूं न महात्मा न मै संसार के झमेलो में पड़ता हूं पर तेरी सरधा और परेम देखकर तुझ पर दया आती हौ।
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आठ-आठ आदमियों की असंख्य पंक्तियां गंभीर भाव से एक विचार, एक उद्देश्य, एक धारणा की आंतरिक शक्ति का अनुभव करती हुई चली जा रही थीं, और उनका तांता न टूटता था, मानो भूगर्भ से निकलती चली आती हों।
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एक बार एक शिष्य कुत्ते ने कुछ मनुष्यों को आपस में लड़ते देखकर अपने गुरु से पूछा था “ यह क्या हो रहा है गुरुदेव? ” गुरुदेव ने गंभीर भाव से कहा था ” छोड़ो भी वत्स, कुत्ते हैं वे।
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नेउर को जिस शिकार की टोह थी वह आज मिलता हूआ जान पड़ा गंभीर भाव से बोला-बेटी मै न सिद्ध हूं न महात्मा न मै संसार के झमेलो में पड़ता हूं पर तेरी सरधा और परेम देखकर तुझ पर दया आती हौ।
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' ' इसके जवाब में मेरे पिता ने गंभीर भाव से कहा, '' निःसन्देह मैं आप लोगों का पता लगा रहा था मगर बदनीयती के साथ नहीं बल्कि इस नीयत से कि मैं आप लोगों की इस सभा में शरीक हो जाऊं।
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एक दिन मैने सुशीला से कहा-अगर तेरे पतिदेव कहीं परदेश चले जाए तो रोत-रोते मर जाएगी! सुशीला गंभीर भाव से बोली-नहीं बहन, मरुगीं नहीं, उनकी याद सदैव प्रफुल्लित करती रहेगी, चाहे उन्हें परदेश में बरसों लग जाएं।