कितनी बार देखा है रास्ते में गाड़ीवाला रिक्शेवाले को पीट रहा होता है, जबकि गाड़ी से टकराकर किसका नुकसान हुआ होगा, रिक्शे का या गाड़ी का।
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जिनकी नींद खराब होती है उनमें से कुछ हमारी इस खोज में शामिल होते हैं और दस मिनट के अंदर वो गाड़ीवाला, क्षमा माँगता हुआ वहाँ से गाड़ी हटाता है।
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जिनकी नींद खराब होती है उनमें से कुछ हमारी इस खोज में शामिल होते हैं और दस मिनट के अंदर वो गाड़ीवाला, क्षमा माँगता हुआ वहाँ से गाड़ी हटाता है।
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ऐ गाड़ीवाला रे, ऐ गाड़ीवाला रे पता देजा रे पता लेजा रे पता देजा पता लेजा गाड़ीवाला रे तोरे नांव के तोरे गाँव के पता देजा जिया जागत रहिबे रे बईरी,
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ऐ गाड़ीवाला रे, ऐ गाड़ीवाला रे पता देजा रे पता लेजा रे पता देजा पता लेजा गाड़ीवाला रे तोरे नांव के तोरे गाँव के पता देजा जिया जागत रहिबे रे बईरी,
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ऐ गाड़ीवाला रे, ऐ गाड़ीवाला रे पता देजा रे पता लेजा रे पता देजा पता लेजा गाड़ीवाला रे तोरे नांव के तोरे गाँव के पता देजा जिया जागत रहिबे रे बईरी,
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रास्ते में कोई गाड़ीवाला गलत रास्ते से आपके सामने आए, तो भी नहीं लड़ते हो न? क्रोध नहीं करते न? क्यों? आप टकराकर तोड़ दो उसे, ऐसा करते हो? नहीं।
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रास्ते में कोई गाड़ीवाला गलत तरीके से रास्ते पर हमारे सामने आता हो, तो भी वहाँ नहीं लड़ेंगे? क्रोध नहीं करेंगे? क्यों? हम टकराकर उसे तोड़ देंगे? ऐसा करेंगे? नहीं।
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छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के मशहूर गीत गाड़ीवाला के एक अंतरे में प्रेम को कुछ इस तरह से परिभाषित किया गया है “ मया नहीं चीन्हे रे देसी-बिदेसी, मया के मोल न तोल, जात-बिजात न जाने रे मया, मया मयारुक बोल ”.
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कुछ-कुछ होता है ” वाली भावनायें हैं, ऐसे में गीत के बोलों में “ पिंजरे वाली मुनिया … ” एक तरह से वहीदा रहमान की स्थिति को प्रदर्शित करते हैं कि वह नाचने वाली है लेकिन एक अदृश्य “ पिंजरे ” में कैद है और भोलाभाला ग्रामीण गाड़ीवाला (जिसे “