खैर पणजी में स्थानों ज्ञात ने 18 जून रोड शहर के दिल में (एक व्यस्त गुज़रगाह और पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए एक शॉपिंग क्षेत्र), माला क्षेत्र, Miramar बीच और कला अकादमी सांस्कृतिक केन्द्र इसकी संरचना द्वारा वास्तुकार चार्ल्स कोरिया का निर्माण करने के लिए जाने जाते हैं.
32.
कुछ $ 2. 40 प्रति माह की तुलना में काफी कम रहस्यमय सूत्र के तहत भुगतान करना होगा-केवल प्रति वर्ष 16.73 डॉलर ($ 1.40 प्रति माह) यदि आप एक प्रमुख गुज़रगाह पर रहते हैं, उदाहरण के लिए वैसे भी, के बाद से शहर उन रोशनी के लिए दे रही है.
33.
लिहाज़ा अगर ज़रा ग़ौर व फ़िक्र किया जाये तो मालूम हो जायेगा कि इंसान इस महदूद दुनियावी ज़िन्दगी के लिये नही बल्कि एक बाक़ी रहने वाली ज़िन्दगी के लिये पैदा किया गया है जो बाद के बाद की ज़िन्दगी यानी मआद है और यह दुनिया उसी असली ज़िन्दगी के लिये एक गुज़रगाह है।
34.
न ख़ुष फ़रेबों ने इसमें इज़तेराब पैदा किया हो और न मुष्तबा उमूर ने इसकी आंखों पर परदा डाला हो, बषारत की मसर्रत और नेमतों की राहत हासिल कर ली हो, दुनिया की गुज़रगाह से क़ाबिले तारीफ़ अन्दाज़ से गुज़र जाए और आख़ेरत का ज़ादे राह नेक बख़्ती के साथ आगे भेज दे।
35.
विगत तीन दिनों से रह-रह कर पढ़ रहा हूँ शब्दों के इस अद्भुत प्रवाह को....आज हिम्मत करके कुछ कहने बैठा तो चकित हृदय कुछ भी सोच नहीं पा रहा... “ गाँधी की तस्वीर वाले एक मैले-कुचैले कागज़ के बदले में आबे-हयात बेचने” का बिम्ब हो या फिर “करवट बैठ चुके ऊँट का कोहान एक ऐसा गुज़रगाह जिसपर गुज़िश्ता समय की पदचाप”....
36.
(((-इन्सानी ज़िन्दगी में कामयाबी का राज़ यही एक नुक्ता है के यह दुनिया इन्सान की मन्ज़िल नहीं है बल्कि एक गुज़रगाह है जिससे गुज़रकर एक अज़ीम मन्ज़िल की तरफ़ जाना है और यह मालिक का करम है के उसने यहाँ से सामान फ़राहम करने की इजाज़त दे दी है और यहाँ के सामान को वहाँ के लिये कारआमद बना दिया है।
37.
याद रखो! तुम आखि़रत के लिये पैदा हुए हो न के दुनिया के लिये, फ़ना के लिये ख़ल्क़ हुए हो न बक़ा के लिये, मौत के लिये बने हो न हयात के लिये, तुम एक ऐसी मन्ज़िल में हो जिसका कोई ठीक नहीं है और एक ऐसे घर में हो जो आखि़रत का साज़ो सामान मुहैय्या करने के लिये है और सिर्फ़ मन्ज़िले आखि़रत की गुज़रगाह है।