भावी ज्ञान अर्थात गुप्त विद्या पद्धति द्वारा भविष्य कथन गुप्त विद्या पद्धति में मूलतः 30 प्रश्नों का प्रावधान रहा है, किंतु आगे चल कर इसमें 8 नवीन प्रश्न जोड़ लिए गए।
32.
12 वीं सदी में बौद्ध संन्यासियों ने मयांग की तंत्र विद्या को हिंदू और बौद्ध ' गुप्त विद्या ' के एक अनोखे साझा केंद्र के रूप में स्थापित करने में खास योगदान किया.
33.
कुण्डली के चतुर्थ भाव से विद्या, पंचम भाव से बुद्धि, द्वितीय भाव से वाणी, आठवें भाव से सामान्य ज्ञान एवं गुप्त विद्या तथा दशम भाव से विद्या जनित यश व आजीविका का भान होता है।
34.
पंचम / एकादश भाव: इन भावों में गुरु जातक को पूर्व जन्म में तंत्र-मंत्र एवं गुप्त विद्या का जानकार बताता है जिससे वह इस जन्म में दुष्ट आत्माओं द्वारा कष्ट व परेशानी पाता रहता है।
35.
लेकिन मैंने तय कर लिया कि यह गुप्त विद्या अब आगे गुप्त नहीं रहेगा और मैं इस गुप्त विद्या का प्रचार पूरे देश में करूंगा और हर भारतवासी को कवि बनने में सहयोग करूंगा, ताकि वो भी इस गुप्त विद्या का लाभ उठाकर सफल कवि बन सके और नाम-यश और पैसा बटोर सकें.
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लेकिन मैंने तय कर लिया कि यह गुप्त विद्या अब आगे गुप्त नहीं रहेगा और मैं इस गुप्त विद्या का प्रचार पूरे देश में करूंगा और हर भारतवासी को कवि बनने में सहयोग करूंगा, ताकि वो भी इस गुप्त विद्या का लाभ उठाकर सफल कवि बन सके और नाम-यश और पैसा बटोर सकें.
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लेकिन मैंने तय कर लिया कि यह गुप्त विद्या अब आगे गुप्त नहीं रहेगा और मैं इस गुप्त विद्या का प्रचार पूरे देश में करूंगा और हर भारतवासी को कवि बनने में सहयोग करूंगा, ताकि वो भी इस गुप्त विद्या का लाभ उठाकर सफल कवि बन सके और नाम-यश और पैसा बटोर सकें.
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लेकिन मैंने तय कर लिया कि यह गुप्त विद्या अब आगे गुप्त नहीं रहेगा और मैं इस गुप्त विद्या का प्रचार पूरे देश में करूंगा और हर भारतवासी को कवि बनने में सहयोग करूंगा, ताकि वो भी इस गुप्त विद्या का लाभ उठाकर सफल कवि बन सके और नाम-यश और पैसा बटोर सकें.
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लेकिन मैंने तय कर लिया कि यह गुप्त विद्या अब आगे गुप्त नहीं रहेगा और मैं इस गुप्त विद्या का प्रचार पूरे देश में करूंगा और हर भारतवासी को कवि बनने में सहयोग करूंगा, ताकि वो भी इस गुप्त विद्या का लाभ उठाकर सफल कवि बन सके और नाम-यश और पैसा बटोर सकें.
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लेकिन मैंने तय कर लिया कि यह गुप्त विद्या अब आगे गुप्त नहीं रहेगा और मैं इस गुप्त विद्या का प्रचार पूरे देश में करूंगा और हर भारतवासी को कवि बनने में सहयोग करूंगा, ताकि वो भी इस गुप्त विद्या का लाभ उठाकर सफल कवि बन सके और नाम-यश और पैसा बटोर सकें.