अष्टम भाव से संबंधित सभी पक्षों के पूर्णतया बली व सकारात्मक होने के कारण इनके अंदर गुप्त व ईश्वरीय शक्ति विद्यमान है, जिसके फलस्वरूप इनमें अद्वितीय प्रतिभा व अद्भुत ऊर्जा का समावेश हो गया, क्योंकि ज्योतिष में अष्टम भाव को गुप्त शक्ति का स्रोत माना जाता है।
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दिव्य-शक्तियों की क्रपा को प्राप्त करने मे उपयोगी शब्द शक्ति को मन्त्र कहते है! ४. अद्रश्य गुप्त-शक्ति को जाग्रत करके अपने अनुकूल बनाने बाली बिधा को मन्त्र कहते है! ५. इस प्रकार गुप्त शक्ति को बिकसित करने वाली बिधा को मन्त्र कहते है! इस प्रकार मंत्रो का अनेक अर्थ है!
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रत्न: रत्नों से गुप्त शक्ति, किरणपात व ऊर्जा प्राप्त होती है विभिन्न प्रकार के रत्नों में विभिन्न प्रकार की ऊर्जा होती है जो हमारे शरीर में प्रवेश कर जीवन में बदलाव करने में सक्षम होती है या फिर व्यक्ति यदि योगकारक ग्रह का रत्न धारण करे तो वह ग्रह और अधिक बली हो कर श्ुाभ फल देने में सक्षम हो जाता है।
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साधारण लोग अब तक मन के निम्न भागों को ही उपयोग में लाते हैं, उनके मानस-लोक में अभी ऐसे असंख्य गुप्त प्रकट स्थान हैं जिनकी स्वप्न में भी कल्पना नहीं की जा सकी है अतएव मन को कोसने के स्थान पर आचार्य लोग दीक्षितों को सदैव यह उपदेश देते हैं कि उस गुप्त शक्ति को त्याज्य न ठहराकर ठीक प्रकार से क्रियाशील बनाओ ।
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में सोच में पड़ गया कि या तो अनजाने में किसी गुप्त शक्ति के कारण मैं बिन बोले ही उसको उस शब्द का बोध करा पाया, अथवा उसने मेरे मस्तिष्क में लिखा पढ़ लिया और पुस्तक में लिखे शब्द का मुझे बोध करा दिया! “हरी अनंत, हरी कथा अनंता”, और 'संयोग से' ही 'उ' से उम्मीद पर दुनिया कायम है ('उ', '३' के और ॐ के समान भी दिखता है, दुनिया हरी के शेषनाग के सर पर अनंत काल से स्थापित भी मानी जाती है:)