लेकिन छः वर्ष की आयु के जातक को संपन्नता, गृह-निर्माण और रोजगार धंधे में वृद्धि या लाभ से क्या सरोकार? हां यह जरूर है कि उसके माता पिता के जीवन पर ग्यारहवें घर के शनि का शुभ प्रभाव पड़ेगा।
32.
तुम्हारी पूजन, शांति के हवनादि के बगैर शिलान्यास, गृह-निर्माण, गृह-प्रवेश आदि करने वालों को और तुम्हारे अनुकूल कुआं तालाब, बाबड़ी, घर, मंदिर आदि का निर्माण न करने वालों को अपनी इच्छानुसार कष्ट देकर सदा पीड़ा पहुंचाते रहना।
33.
अलग-अलग अवसरों के लिए विद्वानों नें मुहूर्तों की गणनाएं की जैसे विभिन्न संस्कारों, गृह-निर्माण एवं गृह-प्रवेश, विवाह, यात्रा या धावा बोलने का काल, कृषिकर्म और व्यापार वाणिज्य के क्षेत्र में मुहूर्तों का विस्तार होता गया और बात चौर्य-कर्म के मुहूर्त जानने तक जा पहुंची थी।
34.
वास्तुशस्त्र में भी उल्लेख है कि पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद, ज्येष्ठा, अनुराधा, स्वाति या भरणी नक्षत्र में शनि के सिथत होने पर शनिवार को गृह-निर्माण आरंभ नहीं करना चाहिए, अन्यथा वह घर राक्षसों, भूतों और पिशाचों से ग्रस्त हो जायेगा।
35.
अलग-अलग अवसरों के लिए विद्वानों नें मुहूर्तों की गणनाएं की जैसे विभिन्न संस्कारों, गृह-निर्माण एवं गृह-प्रवेश, विवाह, यात्रा या धावा बोलने का काल, कृषिकर्म और व्यापार वाणिज्य के क्षेत्र में मुहूर्तों का विस्तार होता गया और बात चौर्य-कर्म के मुहूर्त जानने तक जा पहुंची थी।
36.
प्रत्येक व्यक्ति स्वयं समझ सकता है कि यदि मानव-प्राण का कोई मूल्य न हो, उसका कोई सम्मान न हो, उसकी सुरक्षा का कोई प्रबंध न हो तो चार आदमी कैसे मिलकर रह सकते हैं, उनमें किस तरह परस्पर कारोबार हो सकता है, उन्हें वह शान्ति एवं परितोष और वह निश्चिन्तता तथा चित्त की स्थिरता कैसे प्राप्त हो सकती है, जिसकी मनुष्य को व्यापार, कला और कृषि-कार्य, धनार्जन, गृह-निर्माण, यात्र एवं पर्यटन और सभ्य जीवन व्यतीत करने के लिए आवश्यकता होती है।