वैसे भी गेटपास मिलने के बाद प्लेटफार्म में खुद को चलना होता है वहां चलने नहीं आया या फिर चलकर दूसरों की तरह आगे बढने की कोशिश होती रही तो वह न तो लोकतंत्र के खूंटे को मजबूत कर पायेगा और न ही खुद मजबूत हो पायेगा।
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अपीलार्थी द्वारा इस सम्बन्ध में पुनः एक पत्र दिनांक 11-2-2008 को उत्तरवादी को लिखा गया जिसमें पुनः मजदूरों का गेटपास बनाने, बॉण्ड पर हस्ताक्षर करवाने के बारे मे लिखा गया था और उक्त पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया था कि उक्त दो माह 20 दिन व्यतीत होने के बाद भी कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ है इसलिए उपरोक्त कार्य में 1/8भाग से अधिक समय व्यतीत हो चुका है इसलिए अपीलार्थी को लाखों का नुकसान हो चुका है वह अपना कार्य करने में असमर्थ है।