कुछ वर्ष पहले उन्होंने बीबीसी को बताया था, ” जब यह संदेश लेकर मेरे एडीसी कैप्टेन हरतोश मेहता नियाज़ी के पास गए तो उन्होंने उनके साथ जनरल जमशेद को भेजा, जो ढाका गैरिसन के जीओसी थे.
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सीमा क्षेत्रों जैसे पेमाको और मेतोक द्ज़ोंग में सैन्य जमावड़े के साथ साथ हर सैन्य जिले में बड़े सैन्य गैरिसन हैं जिनकी पकड़ तिब्बती युद्ध के दौरान चीनियों के लिये अति उपयोगी साबित हुये सैन्य मार्गों के कारण सुदृढ़ है।
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सीमा क्षेत्रों जैसे पेमाको और मेतोक द्ज़ोंग में सैन्य जमावड़े के साथ साथ हर सैन्य जिले में बड़े सैन्य गैरिसन हैं जिनकी पकड़ तिब्बती युद्ध के दौरान चीनियों के लिये अति उपयोगी साबित हुये सैन्य मार्गों के कारण सुदृढ़ है।
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उदाहरण के लिये 1958 के अवसान काल में खाम्ब योद्धाओं ने त्सांग पो (ऊपरी ब्रह्मपुत्र) घाटी में स्थित चीनी सैन्य ठिकाने त्सेथांग पर आक्रमण कर बहुशस्त्रास्त्र सज्जित चीनी गैरिसन को मटियामेट कर दिया जिसमें तीन से पाँच हजार तक की संख्या में चीनी सैनिक थे।
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सारिया बातिस्ता की सेना की उस टुकड़ी की एक अश्वेत लेफ्टिनेंट थी जिसने कि मोंकाडा गैरिसन पर कब्जे के दौरान हम तीनों साथियों को तब गिरफ्तार किया था जबकि हम वहाँ से उनके कब्जे को हटाने हेतु प्रयत्न करते-करते इतने अधिक थक गए थे कि वहीं एक पहाड़ी झोपड़ी में सो गए थे।
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देश पर मर मिटने का प्रण लिया जागरण ब्यूरो, जम्मू: सेना की क्रॉसड स्वार्डस डिव ने शुक्रवार को कारगिल विजय दिवस पर शहीदों को याद किया। इस मौके पर अधिकारियों व जवानों ने प्रण लिया कि वे देश की आन, बान और शान के लिए हर कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं। अखनूर गैरिसन वार मेमोरियल पर डिव के जीओसी मेजर जनरल फिलिप कांपोज ने कारगिल में मातृभूमि की रक्षा करते शहीद हुए सेना के वीरों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। बिगुल पर लास्ट पोस्ट की धुन बजाई गई। इस मौके पर डिव के अधिकारी व जवान मौजूद थे।