इस धारणा के विरोध में फ्रांस के कैसिनस का कहना था कि यदि पृथ्वी गोलाभ है तो विषुवत् से ध्रुव की ओर जाने पर एक अंश अक्षांश की दूरी बढ़ती जानी चाहिए।
32.
इस धारणा के विरोध में फ्रांस के कैसिनस का कहना था कि यदि पृथ्वी गोलाभ है तो विषुवत् से ध्रुव की ओर जाने पर एक अंश अक्षांश की दूरी बढ़ती जानी चाहिए।
33.
भूपरिधि निर्धारण की विधि में सुधार तभी संभव हुआ जब 17 वीं 18 वीं शताब्दियों के बीच पृथ्वी की आकृति नारंगी के मार्निद, चपटी गोलाभ (oblate spheroid) होने की आशंका जड़ पकड़ने लगी।
34.
जिस सर्वेक्षण में पृथ्वी के आकार को गोलाभ (spheroid) मानकर, उसकी सतह पर लिए गए नापों का प्रयोग करने से पहले पृथ्वी की वक्रता के लिए शोधन करते हैं, उसे भूगणितीय सर्वेक्षण कहते हैं।
35.
चूँकि पृथ्वी पूर्णत: दृढ़ पदार्थ की बनी नहीं मानी जाती और फिर उसमें अक्ष के परित: घूर्णन है अत: गुरुत्वाकर्षण और घूर्णन जन्य अपकेंद्र बल (centrifugal force) के कारण ध्रुवों पर उसकी आकृति चपटे गोलाभ की है।
36.
मुख्यत: उनके द्वारा यांत्रिक ज्ञानवृद्धि के कारण, और चूँकि पृथ्वी का अपने अक्ष के परित: घूर्णन सत्य माना जाने लगा, यह कल्पना प्रबल हो चली कि पृथ्वी गोलाकार न होकर लघु अक्ष (oblate) गोलाभ है, जो ध्रुवों पर चपटी है।