टिप्पणी: ऋग्वेद की सौ से भी अधिक ऋचाओं में उग्र शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से इन्द्र के लिए और गौण रूप से मरुतों, इन्द्राग्नि-द्वय, इन्द्रासोम-द्वय, अश्विनौ-द्वय, मित्रावरुण-द्वय, पूषा आदि के लिए किया गया है ।
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जब एक वस्तु स्थिर होती है तब उसमें तमस् प्रधान होता है रजस् एवं सत्व गौण रूप से रहते हैं जब यह वस्तु क्रिया वाली होती है तब इसमें रजस् प्रधान होता है सत्व और तमस् गौण रूप से रहते हैं यही वस्तु जब प्रकाश वाली हो जाती है तब इसमें सत्व प्रधान हो जाता है रजस् और तमस् गौण ।
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जब एक वस्तु स्थिर होती है तब उसमें तमस् प्रधान होता है रजस् एवं सत्व गौण रूप से रहते हैं जब यह वस्तु क्रिया वाली होती है तब इसमें रजस् प्रधान होता है सत्व और तमस् गौण रूप से रहते हैं यही वस्तु जब प्रकाश वाली हो जाती है तब इसमें सत्व प्रधान हो जाता है रजस् और तमस् गौण ।