अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सहजता में अगर आरएसएस की विचारधारा का परिचय देश की विशाल जनता से कराया तो आडवाणी ने उसे जन जन तक ग्रहण योग्य और अंग्रेजीदां इलीट तबके में उसे फैशनेबल बना दिया।
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अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सहजता में अगर आरएसएस की विचारधारा का परिचय देश की विशाल जनता से कराया तो आडवाणी ने उसे जन जन तक ग्रहण योग्य और अंग्रेजीदां इलीट तबके में उसे फैशनेबल बना दिया।
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पूरा गीत बहुत सुन्दर है पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!लेकिन इन पंक्तियों ने गीत को पूर्णता और सौन्दर्य प्रदान किया है बहुत बढ़िया!
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मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़करमधुर गीत आँचल में भरकर किस मोहन,को ढूंढ रही हो पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!
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मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़ कर मधुर गीत आँचल में भरकर किस मोहन,को ढूंढ रही हो पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!
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मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़ कर मधुर गीत आँचल में भरकर किस मोहन,को ढूंढ रही हो पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!
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मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़ कर मधुर गीत आँचल में भरकर किस मोहन, को ढूंढ रही हो पूजन लगन देखि मनमोहनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा तेरी पूजा ग्रहण योग्य मंदिर तो है! आराध्य नहीं है!
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पृथ्वी अपने स्वरूप को हमारे ग्रहण योग्य बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के खाद्यान्नों का सर्जन करती है-गेहूँ, जौ, चना, मटर, मक्का, बाजारा, दालें, वसा, मिष्टान्न, खनिज लवण, विटामिंस आदि पृथ्वी तत्त्व की ही देन हैं।
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मीरा जैसा प्यार लुटाती, घर बाहर की लाज छोड़ कर शुभ्र पुष्प अंजलि में लेकर, किस मोहन को ढूँढ रही हो पूजन लगन देख मनमोहिनि, मैं भी हूँ नतमस्तक तेरा! तेरी पूजा ग्रहण योग्य, मन्दिर तो है, आराध्य नहीं है!
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अतः हमें हमेशा ” शाश्वत् सत्य ' ' जो स्वयं परमेश्वर है, की खोज में रहना चाहिए तथा सत्य के ज्ञान से स्व-निरीक्षण कर संपूर्ण अंधकार को मिटा डालना चाहिए तभी हमारी देह, आत्मा, प्राण का कल्याण होगा और हमारा जीवन परमेश्वर को ग्रहण योग्य होगा।