शांति ने जैसे ही स्कूटर खड़ा कर के हैलमेट उतारा, साईकिल की घंटी की तीखी घनघनाहट उसके कानों में गूँज गई और उसी के साथ ही ज़ेहन में कुछ पुरानी यादें भी।
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कम ही बजती है घर की घंटी घर कम आते हैं लोग आजकल बढ़ी है फोन की घंटी की घनघनाहट फोन करना भी मिलन का एक रूप है महसूस कराती है फोन की घंटी
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सैकड़ों बातों की घनघनाहट मन-मस्तिष्क पर झेलती हुई वह सिल्विया से मिलने के लिए अधीर हो उठी, लेकिन मिलने पर कैसे बता पायेगी कि जिसकी मौत को देखकर आ रही है, वह उसका कौन था! …
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हमारे पास टेलीफोन कार्ड था, उसका उपयोग कर भारत बात करने की इच्छा थी, लेकिन ऐसा करते इसके पूर्व ही नींद ने हमें अपने आगोश में ले लिया, अचानक टेलीफोन की घनघनाहट ने हमें नींद से झकझोरा।
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न मंदिरों जैसी घंटियों की घनघनाहट है, न जलती हुई अगरबत्तियों के धुंए से निकलती सुगंधित मलय गंध, न पुष्प बहार-बस एक एकांत है एक उदासी है और शहीदों के सीने पर कूदते अंग्रेजों के घोड़ों के टापों की आवाज।
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मनुष्य अपने हाथ की हथेलियों द्वारा ताली बजाते हैं, प्रायः प्रशंसा या अनुमोदन (देखें सराहना) की अभिव्यक्ति में निरंतर घनघनाहट साथ, लेकिन कभी-कभी ताली लय के साथ भी बजायी जाती है जिससे कि वह संगीत और नृत्य के स्वरों से मेल करे.
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न मंदिरों जैसी घंटियों की घनघनाहट है, न जलती हुई अगरबत्तियों के धुंए से निकलती सुगंधित मलय गंध, न पुष्प बहार-बस एक एकांत है एक उदासी है और शहीदों के सीने पर कूदते अंग्रेजों के घोड़ों के टापों की आवाज।
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दोपहर के ठीक एक बजे ' टिंग टिंग...' दो बार हल्के से दरवाज़े की घंटी बजी थी, परंतु उस संक्षिप्त अवधि की घनघनाहट से कम्पित वायु की प्रत्येक तरंग का उतार चढ़ाव मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे गहन निद्रा से कोंच कोंच कर जगा रहा हो।
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दोपहर के ठीक एक बजे ' टिंग टिं ग... ' दो बार हल्के से दरवाज़े की घंटी बजी थी, परंतु उस संक्षिप्त अवधि की घनघनाहट से कम्पित वायु की प्रत्येक तरंग का उतार चढ़ाव मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे गहन निद्रा से कोंच कोंच कर जगा रहा हो।
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थोड़ा सा स्नेह हो निर्झरसावन जैसी मेह बरसतीफ़िर देखो मेरी भी माँकन्या को माताये तरसती॥ भारत उदय-3 एक सोच थी, एक सपना था,हर हाथ में मोबाइल हो (धीरुभाई का सपना)की हर कान में गूंजेएक मधुर घनघनाहट(क्षमा करे फ़ोन की रिंग को घनघनाहट कहा जाता था)काश उनकी आँखों मेंकुछ ऐसे सपने आए होते,हर पेट में रोटीहर हाथ में कलमऔर हर होंठ पे मुस्कराहट भारत उदय-2 एक एक जन का घर नहीस्कुलो में नही छातफुटपाथ पे सोये बच्चेपेटों में नही भातआती नही हैं लाजकरते हैंभारत उदय की