दिल का दर्द घनेरा अब आंखों तक घिर आया है बादल दूर न होंगे अब, जब तक बरसात न होगी..
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जीवन नहीं घनेरा हर आशा को सदा, तुझसे ही जोड़ा जाता,जबकि निराश और थके आते हैं सब सदा,मेरी बाँहों में समाते हैं सब।
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सोना सस्ता होने से उनकी नींद उड़ गई, जिनके पास घनेरा था, जिसके पास है ही नहीं उसे भरपूर सोने को मिला।
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छोटी-छोटी दूरियां उड़कर पार की होंगी उसने कि हमारे परिसर के बड़े पार्टी लॉन के बीचोबीच का घनेरा दरख़्त दिख गया होगा उसे.
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कल शाम से ही कुछ उम्स हुई, दिल उठ बैठा कर याद उसे, उसका साया घनेरा था वो बूढा बरगद मेरा था।
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सुना था हमने पर पता नहीं था, की हर सपना पूरा नहीं होता, पर इनके टूट जाने से दर्द घनेरा है होता...
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क्यों आखिर क्यों चाहिए तुम्हें उतनी ही हवा जितनी उसके बांहों के घेरे में है क्यों है जमीन उतनी ही तुम्हारी जहां तक वह पीपल घनेरा है
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भोर की पहली किरण मुस्कान लेकर प्रातः से आ पड़ी निस्पंद जग में दूर करने तम घनेरा दूर तक फैला अंधेरा विवशता में बँध गया रो पड़ी तब चाँदनी वह अश्रु शवनम बन गया।।
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चाँद पर बादल, घनेरा हो गया कौन था क्यूँकर, वो मेरा हो गयाआरजूओं का, सवेरा हो गयाधडकनों में आ गया, तूफ़ान-सादिल में ये किसका, बसेरा हो गयाहाल मेरा देख, सब पूछें हैं क्यूँ?बात क्या है?
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दिल का दर्द घनेरा अब आंखों तक घिर आया है बादल दूर न होंगे अब, जब तक बरसात न होगी इस शे'र का दर्द काफी पहले महसूस कर चुकें है हम... जब ये हुआ था उसी दिन....