यह मामला 2005 में तब सामने आया जब रैनबैक्सी में काम करते हुए एक इंजीनियर ने गोपनीय रूप में कई देशों के अधिकारियों को रैनबैक्सी द्वारा की जा रही घपलेबाज़ी के सम्बन्ध में ई-मेल के माध्यम से सूचित किया।
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पूरे सबूत सामने आने पर रैनबैक्सी ने घपलेबाज़ी कबूल कर ली और 50 करोड़ डॉलर जुर्माना अदा करना स्वीकार किया, किन्तु इससे रैनबैक्सी को कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा चूंकि वह इससे कई गुना अधिक की कमाई पहले ही कर चुकी है।
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चौथी दुनिया में जैसे ही यह सारी चोरबाज़ारी और घपलेबाज़ी छपी, वैसे ही दो महान पत्रकारों की दलाली ने सरकार को हिम्मत दी और उसने न्याय के खिलाफ फैसला लिया और जनरल की डेट ऑफ बर्थ 1950 मान ली तथा घोषणा कर दी कि वह जून में रिटायर हो जाएंगे.