चाक डोलै चकबन्ही डोलै खैर पीपर कबहू न डोलै पिपरा के आरी आरी गोर बइठावै दिनवैं कहानी घर भरना सुनावै बुधनी के मम्मा गइलैं पैंड़ा भुलाई एतनै में बदरी गइल ओर माई पानी आई, अंगने भराय जाई थरिया बुधनी कै माई भरी घरिया पर घरिया चाक चलती है, चकबन्धी चलती है लेकिन खैरा पीपर कभी नहीं डोलता।