20 / 21 मार्च को वसंत विषुव मान कर राष्ट्रीय शक संवत को 22 मार्च के दिन से प्रारम्भ होना तय किया गया हालाँकि पृथ्वी के घूर्णन अक्ष की लगभग 26000 वर्ष लम्बी आवृत्ति वाली एक गति के कारण इस दिन अब सूर्य मीन राशि में होता है।
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यह घूर्णनज ब पृथ्वी के अपने अक्ष के परित: घूर्णन के साथ संलिष्ट (कॉम्बाइन) किया जाता है तो परिणामी घूर्णन अक्ष की दिशा निकलती है जो पृथ्वी के अक्ष की पुरानी दिशा से जरा सी भिन्न होती है, अर्थात् पृथ्वी का अक्ष अपनी पुरानी स्थिति से इस नवीन स्थिति में आ जाता है।
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यह घूर्णनज ब पृथ्वी के अपने अक्ष के परित: घूर्णन के साथ संलिष्ट (कॉम्बाइन) किया जाता है तो परिणामी घूर्णन अक्ष की दिशा निकलती है जो पृथ्वी के अक्ष की पुरानी दिशा से जरा सी भिन्न होती है, अर्थात् पृथ्वी का अक्ष अपनी पुरानी स्थिति से इस नवीन स्थिति में आ जाता है।
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खगोलशास्त्रियों का मानना है कि एक तो इस तारे का चुम्बकीय क्षेत्र बहुत शक्तिशाली है जिस से इसके हाइड्रोजन इंधन में मिश्रित तत्व अलग हुए रहते हैं और दूसरा इसका घूर्णन अक्ष (ऐक्सिस) और चुम्बकीय अक्ष एक-दुसरे से अलग हैं जिस से इसके चुम्बकीय प्रभाव से अलग हुए तत्व भी उछलते रहते हैं।
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खगोलशास्त्रियों का मानना है कि एक तो इस तारे का चुम्बकीय क्षेत्र बहुत शक्तिशाली है जिस से इसके हाइड्रोजन इंधन में मिश्रित तत्व अलग हुए रहते हैं और दूसरा इसका घूर्णन अक्ष (ऐक्सिस) और चुम्बकीय अक्ष एक-दुसरे से अलग हैं जिस से इसके चुम्बकीय प्रभाव से अलग हुए तत्व भी उछलते रहते हैं।
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-स्पष्टत: इस दिन को भी यह देखा जाता रहा कि किस नक्षत्र में है!-पृथ्वी की एक और गति के कारण जिसमें कि घूर्णन अक्ष ही लट्टू के शीर्ष जैसा घूमता रहता है (आवृत्ति लगभग 26000 वर्ष), महाविषुव के दिन भी हर 72 वर्ष में एक अंश पीछे होते जाते हैं।