Ancient Athenians could not suffer Socrates because he forced everybody to define abstract terms like justice , temperance , love , etc . , and exasperated them by pulling to pieces every definition that they attempted . प्राचीन एथेंसवासी साक्रेटीस को सहन नही कर सके , क़्योकिं वे प्रत्येक पर इस बात के लिए जोर डालते थे.कि वे न्याय , आत्म संयम , प्रेम आदि ऐसे अमूर्त पदों को परिभाषित करें , और प्रयत्न कर वे जो भी परिभाषा तैयार करते , उसकी धज़्जियां उड़ाकर वे उन्हें चकित और उत्तजित कर देते थे .
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After reminding the Viceroy that the brutality of the measures taken was “ without parallel in the history of civilised government , ” he went on : ” The very least I can do for my country is to take all consequences upon myself in giving voice to the protest of the millions of my countrymen , surprised into a dumb anguish of terror . उन्होंने वायसराय को सावधान किया कि इस हद तक की गई नृशंसता ? किसी भी सभ्य सरकारी शासन के इतिहास में बिरली है . ? आगे उन्होंने लिखा है , ? मैं अपने देश के लिए जितना कुछ कर सकता हूं उसकी सारी जिम्मेदारी अपने पर लेते हुए अपने करोड़ों देशवासियों के विरोध को स्वर दे रहा हूं , जो इस आतंकपूर्ण वेदना से मूक , स्तब्ध एवं चकित हैं .
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Manji's predicament is unfortunately all too typical of what courageous, moderate, modern Muslims face when they speak out against the scourge of militant Islam. Her experience echoes the threats against the lives of such writers as Salman Rushdie and Taslima Nasreen. And non-Muslims wonder why anti-Islamist Muslims in western Europe and North America are so quiet? मन्जी की यह कठिन स्थिति उग्रवादी इस्लाम की फतवी प्रवृत्ति के विरुद्ध बोलने वाले साहसी ,नरम , आधुनिक मुस्लिम चेहरों रो मिलने वाली स्थिति के अनुकूल ही है । उनका अनुभव सलमान रशदी और तसलीमा नसरीन जैसे लेखकों के विरुद्ध खतरों को ही प्रतिध्वनित करती है , और गैर मुस्लिम इस बात पर आश्चर्य चकित हैं कि पश्चिमी यूरोप और उत्तरी अमेरिका के इस्लामवादी विरोधी मुसलमान चुप क्यों है ?
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Now teaching at Duke University , Kuran finds that Islamic economics does not go back to Muhammad but is an “invented tradition” that emerged in the 1940s in India. The notion of an economics discipline “that is distinctly and self-consciously Islamic is very new.” Even the most learned Muslims a century ago would have been dumbfounded by the term “Islamic economics.” सम्प्रति ड्यूक विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य कर रहे कुरान ने पाया कि इस्लामी अर्थशास्त्र की परिकल्पना मोहम्मद के समय में नहीं थी और इस परम्परा का आविष्कार 1940 में भारत में हुआ। एक आर्थिक अनुशासन की अवधारणा जो कि ‘पृथक रूप में और अपने में इस्लामी हो यह अत्यन्त नई है '। यहाँ तक कि एक शताब्दी पूर्व अत्यन्त पढ़े - लिखे मुसलमान भी इस्लामी अर्थशास्त्र पर आश्चर्य चकित थे।
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Tagore was shocked to see the Mahatma resort to such a characteristically priestly tactic of exploiting the conception of sin to din fear in the minds of the people and said in a public statement : ” It has caused me a painful surprise to find Mahatma Gandhi accusing those who blindly follow their own social custom of untouchability of having brought down God 's vengeance upon certain parts of Bihar , evidently specially selected for His desolating displeasure . . ऋ महात्मा द्वारा पुरोहितों की तरह साधारण लोगों के मन में पाप भर डालने के इस प्रयत्न को देखकर रवीन्द्रनाथ चकित रह गए . उन्होंने एक जनसभा में कहा , ऋमुझे इस बात का बहुत दुख है कि महात्मा उन लोगों को दोषी ठहरा रहे हैं जो लोग अस्पृश्यता के सामाऋक विधानों का आंख मूंद कर पालन कर रहे हैं और उनके इस आचरण से कुपित होने के कारण ऋश्वर के दंडस्वरूप बिहार के कुछ हिस्सों में यह भूकंप आया है , विशेष रूप से ऋश्वर ने इसी जगह को चुना है .
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New York City : An investigation by the New York Daily News in 2003 found that books used in the city's Muslim schools “are rife with inaccuracies, sweeping condemnations of Jews and Christians, and triumphalist declarations of Islam's supremacy.” ओटावा स्थित अबरार इस्लामिक स्कूल की प्राचार्या आयसा सेराजी ने अत्यंत आश्चर्य चकित हो कर स्कूल प्रशासन और बोर्ड की प्रतिक्रिया का वर्णन करते हुए कहा कि उनके विद्यालय के दो अध्यापकों ने यहूदियों के खिलाफ घृणा फैलायी है .इसी प्रकार ओटावा गाटी न्यू कि मुस्लिम कम्युनिटी काउंसिल की अध्यक्ष मुमताल अख्तर ने अबरार स्कूल की घटना पर अपनी प्रतिक्रिया फ्रंट पेज समाचार पत्र में व्यक्त की .लेकिन संपूर्ण पृथ्वी पर शायद ये अकेले दो ऐसे व्यक्ति होंगे जिन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ होगा कि इस्लामी विद्यालयों के अध्यापक सेमेटिक धर्मों के विरुद्ध वातावरण बनाते हैं और इस्लामिक एजेंडे को लागू करने का प्रयास करते हैं.वास्तविकता तो यह है कि इस्लामी विद्यालयों की जाँच से इनके इस्लामी स्वरुप के बारे में पता लग चुका है . कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं - न्यूयार्क सिटी - 2003 में न्यूयार्क डेली न्यूज़ ने अपनी जाँच के आधार पर पाया कि शहर के मुस्लिम स्कूलों में प्रयोग में आने वाली पुस्तकें व्यापक रुप से अनुपयुक्त , यहूदियों और ईसाइयों कि भर्त्सना से भरी हुई और विजयी स्वर में इस्लाम की सर्वोच्चता की घोषणा करने वाली हैं.