| 31. | हरे रामा......................................... चित्त क्या है? अंतः चतुष्टय का प्रमुख अंग है चित्त।
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| 32. | ” धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पुरुषार्थ-चतुष्टय कहलाते हैं।
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| 33. | ब्रह्मज्ञान की जिज्ञासा के पीछे भी साधन चतुष्टय (विवेक,वैराग्य, षट्संपत्ति और मुमुक्षत्व)की शर्त है।
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| 34. | बला चतुष्टय-एकत्रित खरेंटी, सहदेई, कंधी और गंगेरु को बला चतुष्टय कहते हैं।
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| 35. | 6. धार्मिक विशेषाधिकार प्राप्त करना। 7. पुरुषार्थ चतुष्टय (धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष) की प्राप्ति।
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| 36. | शमशेर इस चतुष्टय में इकलौते थे जो बाकायदा कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्ड होल्डर रहे.
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| 37. | साधन चतुष्टय में प्रवृत्ति वेदमाता की चतुर्विध दिव्य प्रेरणा ही समझी जा सकती है ।।
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| 38. | हमारी वैदिक संस्कृति ने जीवन का निर्वाह करने लिए पुरुषार्थ चतुष्टय का मार्ग दिया है।
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| 39. | इस प्रकार मानव “धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष” रूपी पुरूषार्थ चतुष्टय के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है।
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| 40. | इस संबंध मे हमे ' धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष ' इस फल चतुष्टय को समझ लेना अधिक उपयोगी होगा।
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