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चतुष्पद उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
31.कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के उत्तरार्ध में शकुनि अमावस्या के पूर्वार्ध मे नाग तथा उतरार्ध मे चतुष्पद तथा शुक्ल परतिपदा के पूर्वार्ध में किंस्तुघ्न नामक चार करण स्थिर संज्ञक होते है।

32.द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, शंकराचार्य चतुष्पद के लिए भूमि आवंटित किए जाने से प्रशासन के इनकार के बाद मध्य प्रदेश स्थित अपने आश्रम के लिए रवाना हो गए।

33.पार्श्वमुख नक्षत्र-अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, ज्येष्ठा और रेवती पार्श्वमुख नक्षत्र हैं, इसमें चतुष्पद क्रय, वाहन कार्य, हल प्रवहणादि कार्य उत्तम माने जाते हैं।

34.कृपया-ये लो, हम मिल के चतुष्पद कार्रवाई करने के लिए अपने 20 के साथ एक फ्लैश में दूसरी स्टार्टअप-और लांघनेवाला, कर्नेल मोड और प्लायमाउथ सेटिंग के माध्यम से प्राप्त जानवर है सुशोभित फार्म का पालन करते हैं.

35.आपकी योनि-सर्प, गण-मनुष्य, वर्ण-वैश्य, हंसक-भूमि, नाड़ी-अन्त्य, वैश्य-चतुष्पद, प्रथम चरण में वर्ग-गरुड़, द्वितीय, तृतीय व चतुर्थ चरण में वर्ग-हिरण, युजा-पूर्व, पाया-सुवर्ण, है!

36.नभचर वह पक्षी होता है जो आकाश में विचरण करता है, जलचर वह प्राणी है जो जल में विचरण करे (अर्थात् मगर, मछली आदि) और थलचर हम मानव एवं दूसरे चतुष्पद प्राणी हैं जो पृथ्वी पर स्थल भाग में विचरण करते हैं।

37.9. चतुष्पद (Chatushpad): चतुष्पद करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति शुभ संस्कारों से युक्त ब्राह्मणों का सम्मान करने वाला धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाला तथा गायों की सेवा करने वाला होता है (Native of Chatushpad karna are devotee of cow and they love animal) ।

38.9. चतुष्पद (Chatushpad): चतुष्पद करण में जन्म लेने वाला व्यक्ति शुभ संस्कारों से युक्त ब्राह्मणों का सम्मान करने वाला धर्म-कर्म में विश्वास रखने वाला तथा गायों की सेवा करने वाला होता है (Native of Chatushpad karna are devotee of cow and they love animal) ।

39.वश्य नामक कूट के बारे में चर्चा करें तो, 12 राशियों में से प्रत्येक राशि को वर्ण की भांति ही एक वश्य प्रदान किया गया है तथा इन वश्यों के नाम हैं द्विपद, चतुष्पद, कीट, वनचर तथा जलचर और इन वश्यों को भी वर्णों की भांति ही श्रेष्ठता से निम्नता का क्रम दिया गया है।

40.अभी धुँधलका है पगडंडी पर बिछी ओस बिखराते चतुष्पद फ़िर चले एक वृत्त रचने-पुटठों पर लदा बोझ, आदत-वलक्ष काया पर लिखी कोड़े की फ़ितरत पगहे से रिसता जूट का स्वाद त्वचा में चुभतीं पसलियाँ फ़िर भी-अप्रतिहत, अनवरत चलते पाँव-सर्वविदित, तथ्य, कोल्हू ऐसे ही चलता है बूँद भर तेल बनाने को पाव भर खून जलता है लिप्सा का एक केन्द्र त्रिज्या में बँधे-अन्यथा कूष्माण्ड, परिधि पर लिखते रह्ते स्वेद का व्यक्तित्त्व-कोल्हू ऐसे ही तो चलता है!!

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