इस तरह की शिक्षा एक तरफ बच् चों को ज्ञान एवं कौशल देती है और दूसरी तरु उनका चरित्र बल भी बढ़ाती है।
32.
आज की स् कूली शिक्षा के फैलाव से सारे देश का चरित्र बल घट जाने का खतरा देश पर आज मंडरा रहा है।
33.
स्थायी प्रगति और सुदृढ़ समर्थता के लिए चरित्र बल होना चाहिए और वह उत्कृष्ट विचारणा की भूमि पर ही उग सकता है ।
34.
शिक्षा एवं विद्या वह होनी चाहिए जो साधारण मनुष्य में भी चरित्र बल, परहित भावना तथा सिंह समान साहस पैदा कर सके।
35.
राष्ट्र के चरित्र बल की वृद्धि के लिए और हर तरह राष्ट्र की उन्नति के लिए देश में धर्मिक शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है।
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राष्ट्र के चरित्र बल की वृद्धि के लिए और हर तरह राष्ट्र की उन्नति के लिए देश में धर्मिक शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है।
37.
सदियों की पराधीनता ने हमारे चरित्र बल को नष्ट कर डाला है, तदनुसार हमारे कारोबार झूठे, नकली, दगा फरेब से भरे हुए होने लगे हैं।
38.
जिसमें चरित्र बल है, उसके लिए ‘मातृवत् परदारेषु, परद्रव्येषु लोष्ठवत्' अप्सरा-सी सुन्दरियाँ (पर-स्त्रियाँ) माताएँ, बहनें हैं, परद्रव्य चाहंे लाखों का ढेर हो, उसके लिए ढेले के समान है।
39.
पर क् या यह एक प्रत् यक्ष कटु सत् य नहीं है कि हमारी स् कूली शिक्षा के अंधे फैलाव ने हमारे देश के तथाकथित शिक्षितों के चरित्र बल का घोर क्षरण कर डाला है।
40.
आदर्श प्रस्तुत करती थीं, कहानियों के पात्रों का चरित्र बल इतना उज्ज्वल होता था कि चोर, गुंडे, वेश्या, खूनी भी अपने कर्मों के पीछे की मजबूरी सिद्ध करते प्रतीत होते थे।