राबड़ी के नाम पर एक करोड़, 47 लाख, 73 हजार, 589 रुपये हैं जबकि लालू के नाम पर 76,89,361 रुपये, तेज प्रताप के नाम 25,53,427 और तेजस्वी के नाम पर 20,27,728 रुपये की चल सम्पत्ति है।
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ये, शेयर या एक कंपनी में एक शेयरधारक के किसी अन्य हित विधि द्वारा एक चल सम्पत्ति के रूप में, इस प्रकार के लेख एसोसिएशन ने कंपनी के द्वारा प्रदान में संक्रमणीय घोषित किया गया है, कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 82 ख़बरदार की सुविधा के लिए.
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ये बैंक अपने पूर्ण अंश पत्रों के विक्रय, जनता से प्राप्त जमा सुरक्षित कोष, अन्य बैंकों तथा केन्द्रीय बैंक से ऋण लेकर प्राप्त करते हैं और सरकारी प्रतिभूतियों, विनिमय पत्रों, बाड़ों, तैयार माल अथवा अन्य प्रकार की तरल या चल सम्पत्ति की जमानत पर ऋण प्रदान करते हैं।
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इधर आजाद प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करने वाले जगदेव सिंह मटदादू ने अपने ब्यौरे में स्वयं को एक करोड़ 98 लाख 60 हजार तथा 25 लाख 60 हजार की अचल और चल सम्पत्ति का मालिक बताया है और उस पर 50 हजार रूपये का कर्ज है।
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प्रथम दिन पर्चे दाखिल करने वाले सवायजपुर क्षेत्र के प्रत्याशी मानवेन्द्र सिंह रानू ने जो सम्पत्ति का ब्यौरा दाखिल किया उनके पास 1918412 रु 0 की चल सम्पत्ति है जबकि अचल सम्पत्ति 19, 27,000 रुपयों की है पर सम्पत्तियों मे 0 6,28,39,254 रुपये है कृषि योग्य भूमि योग 37,74,254 रुपयें की है।
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बैंकिंग प्रणाली की ' रीढ़' की हड्डी इसको कहा जा सकता है. ये बैंक अपने पूर्ण अंश पत्रों के विक्रय, जनता से प्राप्त जमासुरक्षित कोष, अन्य बैंकों तथा केन्द्रीय बैंक से ऋण लेकर प्राप्त करते हैं औरसरकारी प्रतिभूतियों, विनिमय पत्रों, बाड़ों, तैयार माल अथवा अन्य प्रकार की तरल या चल सम्पत्ति की जमानत पर ऋण प्रदान करते हैं.
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अजय सिंह के पास व्हीकलों में से एम-क्लॉस मरसीडेस बेंज मॉडल-0 8, महिन्द्रा जीप मिल्ट्री डिसपोजल मॉडल-1998, फार्म ट्रेक्टर मॉडल-2001 जेन कार मॉडल-2001 के अतिरिक्त, पांच किलोग्राम चांदी, 400 ग्राम सोने के जेवरात इत्यादि के साथ कुल चल सम्पत्ति 2 करोड़ 74 लाख 3 हजार 545 रूपये 16 पैसे बनती है।
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अन्वेशणकर्ता द्वारा अभियुक्त के विरूद्ध न्यायालय से धारा 82 एवं धारा 83 दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत प्रोसेस प्राप्त कर दिनॉक 17. 11.07 को नई टिहरी तथा कीर्तिनगर स्थित अभियुक्त के आवास पर तथा दिनॉक 19.11.07 को अभियुक्त के धनोल्टी स्थित आवास से चल सम्पत्ति की कुर्की की गई जिसकी फर्द अन्वेशणकर्ता द्वारा बनाई गई जो पत्रावली पर प्रदर्ष क-7, प्रदर्ष क-8 तथा प्रदर्ष क-10 है।
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श्रीमती राज दुलारी शर्मा सम्पत्ति संख्या 196 चुक्खु वाला देहरादून तथा चल सम्पत्ति, बैंक खाते, एफ. डी. आर., बैंक लाकर में रखे सामान व बॉन्ड की स्वामिनी थी तथा उन्होने दिनांक 14.041984 को स्वेच्छा से अपनी चल व अचल सम्पत्ति के सम्बन्ध में यह वसीयत अंकित की कि अपने जीवन काल में सभी संपत्तियों की वह स्वामिनी रहेगी तथा मृत्यु के उपरान्त चल व अचल समस्त सम्पत्ति के स्वामी उसके पति श्री पदम नाभ शर्मा होंगे तथा श्री पदम नाभ शर्मा (पी एन शर्मा) की मृत्यु के उपरान्त समस्त चल व अचल सम्पत्ति की स्वामी आवेदिका रहेगी।