हुज़ूर, अस्तबल से ख़ारिज हादसे-दर-हादसे ज़िन्दगी हमारी कुछ इस तरह गुज़री कि फिलवक्त हम मीरगंज की रेहड़ी में जुते घोड़े हैं ज़िन्दगी से बेज़ार पीठ पर चाबुक की मार जिन्स और असबाब सवारियाँ बेहिसाब, भागम-भाग, सड़ाप! सड़ाप!!
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दृश्य है कि तथ्य यह है कि यह मुसलमान है दिखाई देता है, हाँ वे हमारे विश्वास लेकिन दावा ही हिस्सा नहीं है कि वे यह विश्वास के लिए कर रहे हैं, अपने शरीर पर बम चाबुक की मार और हमारे बीच खुद को उड़ा.
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देखिये न, बैलों पर चाबुक की मार पड़ने से भारी बोझ के कारण वे हांफते हुए निकट ही आ रहे हैं| में तो गाड़ी पर बैठे मनुष्योंके भी नाना प्रकार के वार्तालाप सुन रहा हूँ| अपने प्राणों पर आनेवाले दारुण भय ने मेरे ह्रदय में खेद उतपन्न कर दिया है| प्राणिमात्रके लिए मृत्युसे बढ़कर और कोई दुखदाई अवसर नहीं होता, यह अक्षुण सत्य है| कहीं ऐसा न हो कि में सुखके स्थान पर दुःख में पड़ जाऊँ|