लेकिन ये चार दिन की चाँदनी नहीं है, ये प्रभुत्व स्थापित होने में वर्षों लगे हैं और इन टीमों के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ये लगता है कि ये वर्चस्व इतनी आसानी से एशियाई देशों के हाथों से नहीं निकलेगा.
32.
चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात? गयी भैंस पानी में? कहाँ राजा भोज कहाँ गांगु टेली?शाहरुख़ ख़ान चला अमिताभ बनने | दिन में सपने देखना बंद कर भाई शाहरुख़|ऐसे कार्यकर्म कर के क्यों इंडियन की आह ले रहा है/
33.
रही बात परियोजना की, तो भैया चार दिन की चाँदनी है फिर अन्धेरी रात या फिर कहो “ कौवा चला हंस की चाल, अपनी चाल भूल बैठा ” अब योगी / सन्यासी ही बिजिनेसमैन जैसी बाते करेंगे तो हो गया कल्याण।
34.
आक्रमण जो निरन्तर हमारी चेतना पर हुआ है, हो रहा है, जब तक उस पर विजय नहीं पाई जाएगी तब तक हम चार दिन की चाँदनी सरीखे इन देश भक्ति के उबालों के बैठजाने की दुराशा के प्रति अन्यमनस्क रहेंगे ही।
35.
जनता खातिर चार दिन की चाँदनी और फिर अँधेरी रात के ई पांच साला मेले में कवन बनेगा राजा और कवन बनेगी रानी? कवन खायेगा मथुरा का पेंडा और कवन भरेगा काशी मा पानी? ई तS बाद में पता चली, मगर इतना तय बाटे कि अबकियो बार खुलिहें जरूर खजाना कS मुंह।
36.
फिर चार चाँदनी दिन की रात अंधेरी (चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात) २. पहाड़ नीचे है अब के आया ऊँट (अब आया है ऊँट पहाड़ के नीचे) ३. छम् पड़े घम् छड़ी छम् विद्या आये घम् (छड़ी पड़े छम् छम् विद्या आये घम् घम्) ४.
37.
शेलेंद्र अभी तो चार दिन की चाँदनी फिर अंधेरी रात मतलब अभी तो खुश होंगे ही बाद मे ज़्यादा नही 1 साल के बाद इस फ़ेसले पर रोअंगे अपने तो अपनी खुशी के लिए आने वाले बच्चो का भविष्य ख़राब कर दिए एस महगाई मे एक परिवार का गुज़ारा मुश्किल है आप दो बीबी को संभालोगे (मेरी तरफ़ से शुभ कामना)
38.
सचिन तो सचिन है उसकी बराबरी कोई नही कर सकता धोनी ने यह बार सेहवाग से सीखनी चाहिए सेहवाग बेचारा अपने फ़ोर्म के वक़्त भी सचिन को ही अपना आदर्श मानता था ए धोनी ओोनी तो चार दिन की चाँदनी है सचिन तो महान है उसकी बराबरी करने को लोगोन्को उससे पहले सिख लेनी पड़ेगी पर सचिन तो सचिन ही रहेगा जै से भगवान भगवान होते है
39.
जो कई भागों में है, में बताया था कि अपनी जोधपुर यात्रा के दौरान मैंने जगन के साथ उन चार दिनों में अपनी जवानी का भरपूर मज़ा लिया और दिया था लेकिन अब उन चार दिन की चाँदनी के बाद तो फिर से मेरी जिंदगी में अंधेरी रातें ही थी, मेरे दिल में एक कसक रह गई थी कि जगन के लाख मिन्नतें करने के बाद भी मैंने उससे अपनी गाण्ड क्यों नहीं मरवाई!