स्थिति जो भी हो रोगी कुछ भी कहे या करे, उसके प्रत्येक आचरण को भुलाकर उसकी चिकित्सा करना चिकित्सक का धर्म है, उसका कर्तव्य है।
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तत्व चिकित्सा का यही आधार है, पंचतत्वों के बने शरीर को निरोग बनाने के लिए पंच तत्वों द्वारा चिकित्सा करना ही सबसे अच्छा उपाय है ।।
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इनके अतिरिक्त रोगी के लिए पूर्ण शारीरिक और मानसिक विश्राम, पौष्टिक आहार का सेवन, धूप सेवन, हलकी मालिश तथा भौतिक चिकित्सा करना अत्यंत आवश्यक है।
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इस चिकित्सा संस्थान ने आजादी के पहले स्वंत्रता संग्राम सेनानियों की निर्भीकता से चिकित्सा सेवा की जबकि उनकी चिकित्सा करना अंग्रेजों की नजर में अपराध माना जाता था।
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' आप बहुत सोचते हैं, मन में ताना-बाना बुनते रहते हैं, आपको भारी हृदय-रोग हैं, आपकी चिकित्सा करना कठिन है '-इत्यादि बातें अविवेकी चिकित्सक कहते हैं।
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औषधि तैयार करने की लगभग 17 विभिन्न प्रकार है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण तैयार की गई यथा-घनसत्व, चूर्ण, अवलेह, औषधियुक्त घृत, भस्म,आसव, लेपन, औषधि युक्त स्नान आदि द्वारा चिकित्सा करना ।
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किसी को सही नाडी परिक्षण ही न आये तो इसमें चिकित्सक की अज्ञानता है, लेकिन नाडी-परीक्षण द्वारा एक से एक असाध्य रोगों को पहचाना और उनकी चिकित्सा करना संभव है ।
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8. एक्यूप्रशेर चिकित्सा: हमारे शरीर के निश्चित बिन्दुओं, हिस्सों और अंगुलियों या अंगूठे से सीधा दबाव डालकर रोगों की चिकित्सा करना ` एक्यूप्रेशर चिकित्सा प्रणाली ` के नाम से जाना जाता है।
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सम्मोहन द्वारा मनोरोगी से उसके अवचेतन मन में उपलब्ध जानकारी लेकर उसका मनो चिकित्सा करना तो संभव है, लेकिन वो उसके पूर्व-जन्म को जान रहा है, ये बात कुछ उचित नहीं लगती है।
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यूरोप में सन् ११४० में सिसिलो द्वीप के राजा रोजर ने परीक्षोत्तीर्ण हुए बिना चिकित्सा करना अवैध घोषित कर दिया था, जिसकी अवहेलना करने पर जेल हो सकता था तथा अपराधी की संपत्ति सरकार छीन सकती थी।