एक विज्ञान के रूप में सिंथेटिक एंटीबायोटिक कीमोथेरेपी और एंटीबायोटिक के विकास की कहानी 1880 के दशक के आखिर में जर्मनी में वहां के चिकित्सा विज्ञानी पॉल एर्लीच ने शुरू की. डॉ. एर्लीच ने बताया कि कुछ रंग मानव, पशु या बैक्टीरियल कोशिकाओं को बांधने व रंगने में सक्षम होते हैं, जबकि दूसरे ऐसा ऐसा नहीं कर पाते.