इस कारण प्रदर्श क-2 एवं पीडब्ल्यू-1 ता पी. डब्ल्यू-3 द्वारा अपने बयान में उल्लिखित इस तथ्य कि, अभियुक्तगण के द्वारा मृतक श्याम लाला का हाथ जलते अंगारे से जलाया गया, प्रस्तुत चिकित्सीय साक्ष्य से समर्थित नहीं होता है।
32.
उक्त प्रमाणपत्र की चोटें कथित चुटैल के द्वारा बतायी गई चोटों तथा चोटें आने के समय से मेल नहीं खाती है, इसलिए भी दण्डादेश दिनांकितः15-09-2009 चिकित्सीय साक्ष्य से समर्थित न होने के कारण निरस्त किए जाने योग्य है।
33.
इस प्रकार अभियोजन पक्ष द्वारा जो साक्ष्य प्रस्तुत किया गया है उससे यह साबित है कि अभियुक्तगण द्वारा वादिया के साथ मार पीट की गयी जिसका समर्थन स्वतन्त्र साक्षी पी0डब्लू0-4 जगदीश तथा चिकित्सीय साक्ष्य से पूर्ण रूप से होता है।
34.
अभियुक्तगण का ऐसा कोई केस नहीं है कि अभियुक्तगण ने दुल्लर के द्वारा आबिद के सीने में दांत से काटे जाने के कारण अपने बचाव मे दुल्लर पर आक्रमण किया गया और न ही इस संबंध में कोई चिकित्सीय साक्ष्य दाखिल किया गया है।
35.
चिक एफ0आई0आर0 में उसे दर्ज करने का समय 21ः10 डाला गया है और जैसा कि ऊपर विवेचित किया जा चुका है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट और चिकित्सीय साक्ष्य के सम्यक परिशीलन; ंचचतमबपंजपवद द्ध से यह प्रकाश में आया है कि घटना 12ः00 बजे के बाद की थी।
36.
इन परिस्थितियों में चिकित्सीय साक्ष्य से यह तो सिद्ध है कि याची को दुर्घटना में चोटें आंई लेकिन याची की ओर से इलाज में हुए खर्च बिल आदि दाखिल नहीं किए गए हैं जिनसे यह तथ्य साबित होता हो कि उसके इलाज में 60000रू0 खर्च हुए हों।
37.
जबकि लोक अभियोजक का तर्क है कि चिकित्सीय साक्ष्य को देखत हुए घटना के समय अभियोगिनी की आयु 14 वर्ष थी, जिसमे छः माह का कम या ज्यादा का अन्तर हो सकता है, जिसके साथ बलात्कार किया गया, यह तथ्य अभियोगिनी के कथन से भी प्रमाणित होता है।
38.
यह सुस्थापित विधिक पहलू है कि आयु निर्धारण के संबंध में चिकित्सीय साक्ष्य मौलिक साक्ष्यों को अपवर्जित नहीं कर सकती है और मौलिक साक्ष्य के रूप में पी. डब्ल्यू-1 पी. डब्ल्यू-3 व पी. डब्ल्यू-4 ने अपने बयान में घटना के समय पीडिता की आयु 13 वर्ष बतायी है।
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चिकित्सीय आख्या एवं चिकित्सीय साक्ष्य से यह साबित है कि चिकित्सीय परीक्षण के समय घायल मूल चन्द्र का एक दांत टूटा हुआ था तथा एक दांत अपने जगह से हटा हुआ था तथा दोनो दांतो के आस पास के मसूडे सूज गये थे तथा खून का रिसाव हो रहाथा।
40.
वादी की लिखित तहरीर दिनांक 17-5-06 पर दिनांक 17-5-06 को समय 18. 10 अभियुक्त कृष्ण कुमार उर्फ बाबा के विरूद्ध मु. अ. सं. 38/06, अन्तर्गत धारा-363,366 भा. द. संपंजीकृत हुआ और दौरान विवेचना चिकित्सीय साक्ष्य के आधार पर धारा-376 भा. द. सं. की बढोत्तरी की गयी और विवेचना निजामुद्दीन द्वारा की गयी।