संगीत की पुस्तक, नायिकाभेद, जैन मुनियों के चरित्र, कृष्णलीला के फुटकल पद्य, चित्रकाव्य इत्यादि के अतिरिक्त इन्होंने ' जंगनामा ' नामक ऐतिहासिक प्रबंध काव्य लिखा जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदारशाह के युद्ध का वर्णन है।
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यद्यपि अभी तक इनका ' जंगनामा ' ही प्रकाशित हुआ है जिसमें फर्रुखसियर और जहाँदार के युद्ध का वर्णन है, पर स्वर्गीय बाबू राधाकृष्णदास ने इनके बनाए कई रीतिग्रंथों का उल्लेख किया है, जैसे नायिकाभेद, चित्रकाव्य आदि।
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वाचिक में समस्या-पूर्तियाँ होती हैं, टप्पे और बैतबाजी होती है, कूट और द्वयाश्रयी काव्य-बन्ध होते हैं, सर्वतोभद्र होते हैं, चित्रकाव्य नहीं होता ; छपाई के आविष्कार के बाद जैसे-जैसे कविता अपना स्वरूप पहचानती जाती है ये काव्य रूप विलय होते जाते हैं।
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नीद रलैण्ड देश में रैंब्रा, माओफ और फान गॉग (डच उच्चारण) वान गॉग चित्रकारों का जीवन है, इतिहास है, पेन्टिंग्स हैं, संग्रहालय है, उनके चित्रों में उनका समय है, परिवेश है, प्रकृति है, उनके चित्रों में जीवन है, उसकी धड़कनें हैं, इसीलिए वे चित्रकाव्य हैं, उनके जीवन के.......
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इस क्रम में अनंतराम पांडेय (कपटीमुनि नाटक), जहावसिंह वैद्य, पुत्तीलाल सुक्ल (बिलासपुर विभूति), राजनांदावं के राजा कृष्ण किशोर दास (श्रीराधाकृष्ण चंद्रिका, सुपुत्री रानी सूर्यमुखी बाई), कन्हई (चित्रकाव्य), रघुवरदयाल, दशरथलाल (श्री कृष्ण लीलामृत), बालमुकुन्द हेमराव (सीता प्रसाद स्वयंवर), कवि वनमाली (मातृवंदना), सुखलाल प्रसाद पांडेय (बाल शिक्षक, पहेली, बाल गीत, पद्य-पंचामृत, मैथिली मंगल), सैय्यद अमीर अली मीर (ललित काव्य) आदि रचनाकार विशेष स्मरणीय हैं।