किन्नौर महोत्सव के दौरान जिला के दूरदराज के गांवों के लोग जमकर किन्नौरी उत्पाद चिलगोजा, राजमाश, काला जीरा तथा ऊन का कारोबार कर रहे हैं।
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लोगों की सेहत और स्वाद को ध्यान में रखकर बनाई गई इस मिठाई में चिलगोजा, कई मेवे, केसर और गोल्ड फॉयल मिलाया गया है।
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चीड़ की बहुत सी जातियों के बीज खाने के काम आते हैं, जिनमें पश्चिमोत्तर हिमालय का चिलगोजा चीड़ अपने सूखे फल के लिये प्रसिद्ध और मूल्यवान् है।
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यह हर प्रकार के तेल, तिल, सरसों, जैतून, सूर्यमुखी, मूंगफली एवं अलसी आदि और मेवे (नारियल, बादाम, अखरोट, काजू-पिस्ता, चिरौंजी एवं चिलगोजा आदि) में पाया जाता है।
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चीड़ की बहुत सी जातियों के बीज खाने के काम आते हैं, जिनमें पश्चिमोत्तर हिमालय का चिलगोजा चीड़ अपने सूखे फल के लिये प्रसिद्ध और मूल्यवान् है।
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चीड़ की बहुत सी जातियों के बीज खाने के काम आते हैं, जिनमें पश्चिमोत्तर हिमालय का चिलगोजा चीड़ अपने सूखे फल के लिये प्रसिद्ध और मूल्यवान् है।
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दक्षिण पश्चिम अमेरिका में नेवादा के ग्रेट बेसिन का चिलगोजा अपने मीठे और फल जैसे स्वाद, बड़े आकार तथा आसानी से छीले जाने के लिये प्रसिद्ध है।
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“ अबे तो कैसे पता चला कि लेटर इन्होने लिखा है ” हमने समझने की कोशिश की | केंचुआ की एक और आह निकली | चिलगोजा आगे बढ़े |
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चिलगोजा, चीड़ या सनोबर जाति के पेड़ों का छोटा, लंबोतरा फल है, जिसके अंदर मीठी और स्वादिष्ट गिरी होती है और इसीलिए इसकी गिनती मेवों में होती है।
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गाय के घी में भूनकर गुलाबी सिक जाने पर दोनों के वजन का आधा गुड़, कतरे बादाम-पिस्ता, अखरोट, चिलगोजा डालकर बिना जमाए लaू या चूरे के रूप में रखते हैं।