इन दो प्रमुख पत्रों के इर्द गिर्द यह नाटक चतुर रूपा, सदा चिल्लाने वाली घेघा बुआ, साबुन बेचने वाली और समाज से सदा लड़ने को आतुर सत्ती, कोढ़ी मिरवा, समाज सेविका बहन जी, नीच भूप्देव जैसे कई अन्य पात्रों से भी मिलवाता है.
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कभी कभार मूल्य नियंत्रण के तोहफे इस कदर प्रभावी हों जाते हैं कि सारे देश मे चुनावी बूथ इससे प्रभवित हो जाते हैं | अक्सर चिल्लाने वाली ममता भी खामोश रह जाती हैं, क्योंकि इस मूल्य नियंत्रण का लाभ शायद उन्हे भी मिला ही है ।
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चलो मान लो कि मार दिया नेताओं को, कौन राज करेगा फिर?यही ढोंगी साधू,संपेरे और ज्योतिषी?जो भोलीभाली जनता को झूठ बेचते हैं या 'रंग दे बसंती' चिल्लाने वाली वह पीढ़ी जो एसएम्एस कैम्पेन,मोमबत्ती जलाने बुझाने और कीबोर्ड युद्ध के अलावा न कुछ जानती और न कुछ करती है?
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एक औरत जिसे कई बार लोग थर्ड क्लास साड़ी पहनने वाली गंवार और चिल्लाने वाली महिला कहते हैं वह भारतीय राजनीति में इतना प्रभाव रखती हैं कि देश के इतिहास में पहली बार एक रेलमंत्री को रेल बजट पेश करते ही मंत्रालय से बाहर करवा देती हैं.
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चलो मान लो कि मार दिया नेताओं को, कौन राज करेगा फिर?यही ढोंगी साधू,संपेरे और ज्योतिषी?जो भोलीभाली जनता को झूठ बेचते हैं या 'रंग दे बसंती' चिल्लाने वाली वह पीढ़ी जो एसएम्एस कैम्पेन,मोमबत्ती जलाने बुझाने और कीबोर्ड युद्ध के अलावा न कुछ जानती और न कुछ करती है?
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फ़िर मैने उसे कमर से पकड़ कर उसकी ब्रा के बाहर से ही उसके बूब्स पर किस करना शुरु कर दिया वह चिल्लाने वाली थी पर मैने उसे डराते हुए कहा की किसी ने सुन लिया तो तुम्हारी बहुत बे-इज़्ज़ती होगी इसलिये जैसे मैं करता हूं मुझे करने दो।
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इन दो प्रमुख पत्रों के इर्द गिर्द यह नाटक चतुर रूपा, सदा चिल्लाने वाली घेघा बुआ, साबुन बेचने वाली और समाज से सदा लड़ने को आतुर सत्ती, कोढ़ी मिरवा, समाज सेविका बहन जी, नीच भूप्देव जैसे कई अन्य पात्रों से भी मिलवाता है.
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कैसे कुछ और चिल्लाने वाली जमातों का मुँह बन्द किया जा सकता है? काबिल दिमागों को बड़े-बड़े सरकारी पदों पर सिर्फ इसलिये नहीं नियुक्त किया जाता कि वे अपनी योग्यता से जनता को फायदा पहुँचायें, बल्कि इसलिये कि वे चिरकाल से स्थापित स्वार्थों को अक्षुण्ण बनाये रखने में सहायता करें.
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दिल्ली में हुए यौनाचार के कई मसलों पर खूब चिल्लाने वाली सोमा अपने ही संस्थान के भीतर की पीड़ित लड़की और अपने ही संस्थान के दुराचारी बॉस पर चुप क्यों हंै? इसका सही जवाब तो वही दे सकती हैं, लेकिन यह तो कहा जा सकता है कि इस हमाम में सभी नंगे हैं।
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सच न बोलना नागार्जुनमलाबार के खेतिहरों को अन्न चाहिए खाने को, डंडपाणि को लठ्ठ चाहिए बिगड़ी बात बनाने को! जंगल में जाकर देखा, नहीं एक भी बांस दिखा!सभी कट गए सुना, देश को पुलिस रही सबक सिखा!जन-गण-मन अधिनायक जय हो, प्रजा विचित्र तुम्हारी हैभूख-भूख चिल्लाने वाली अशुभ अमंगलकारी है!बंद सेल, बेगूसराय में नौजवान दो भले मरे जगह नहीं है जेलों में, यमराज तुम्हारी मदद करे।