हे भगवान! पहले तो थर्मल अंतिम वांछनीयता होनी चाहिये द्वितियत: थर्मल स्टेशन क्यों नहीं बंजर-वीरान दूर-दराज इलाक़ों में बनाए जाते! क्योंकि नेता लोगों को इसमें नंबर दिखते हैं-“देखा! हम अपने चुनाव-क्षेत्र में आपके लिए इत्ते ठो पावर सटेसन लाए हैं”.
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हे भगवान! पहले तो थर्मल अंतिम वांछनीयता होनी चाहिये द्वितियत: थर्मल स्टेशन क्यों नहीं बंजर-वीरान दूर-दराज इलाक़ों में बनाए जाते! क्योंकि नेता लोगों को इसमें नंबर दिखते हैं-“देखा! हम अपने चुनाव-क्षेत्र में आपके लिए इत्ते ठो पावर सटेसन लाए हैं”.
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क्या वही भूल वह अब भी दोहराना चाहती है, जो 1916 के लखनऊ-पेक्ट में कॉग्रेसी नेताओं ने दोहराई थी | मुस्लिम लीगियों के आगे उन्होंने घुटने टेके और यह मान लिया कि भारत के मुसलमानों के लिए अलग चुनाव-क्षेत्र [...]
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यह जो ' ब्लेकमेल ' का आरोप अन्ना हजारे पर यह लगते हैं, यह खुद उसमें माहिर हैं और इसके भुक्तभोगी शोइब इकबाल हैं जो चांदनी चौक चुनाव-क्षेत्र से सिबल के विरुद्ध लोजपा के प्रत्यासी थे, और जिन्हें रास्ते से हटाने के लिए हर कुकर्म सिबल ने किये.
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हमारा मानना है कि जिस तरह गुजरात के आनंद में ग्रामीण विकास के मैनेजमेंट की पढ़ाई होती है, उस तरह राजनीति, पार्टी, चुनाव, चुनाव-क्षेत्र के मैनेजमेंट की पढ़ाई के लिए कोई कॉलेज शुरू क्यों नहीं किए जाते? ना तो पार्टियां ऐसा करते दिखतीं, ना ही कोई सरकार या राज्य।
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क्या वे मुसलमानों के लिए आगे जाकर अलग वोट, अलग उम्मीदवार या अलग चुनाव-क्षेत्र मांगेंगे? और क्या फिर वे एक नए पाकिस्तान की मांग रखेंगे? जरा याद करें कि 1906 में पैदा हुई मुस्लिम लीग ने इसी तरह का शुभारंभ किया था या नहीं? उसकी पूर्णाहुति कहां जाकर हुई? उससे मुसलमानों का क्या फायदा हुआ? वे तीन टुकड़ों में बंट गए।