सनद रहे कि टिप्पणियॉं सायबर ला से बाहर नहीं हैं, कानून के दायरे में आने वाले छद्मनामी तक, यदि इन्वेस्टीगेशन करने वाली सरकारी एजेंसी चाहे तो पहुंच पाना कोई बड़ी बात नहीं है।
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जहां तक ब्लॉगिंग का सवाल है मेरी नजर में उन्होंने जो अनामी, बेनामी, छद्मनामी ब्लॉगरों की नकारात्मक पोस्टों पर वाह,वाही टिप्प्णियां की हैं वह शायद न करते तो मेरी समझ में वे अपना और ब्लॉगजगत का बहुत भला करते।
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रंगनाथ जी, बहस मुबाहिसे अपनी जगह हैं पर सर्वाधिक दु: ख यह देख कर हुआ कि कैसे आप एक छद्मनामी को और उससे भी अधिक उसकी गलीज / अश्लील भाषा को ' डिफेंड ' कर रहे हैं.
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इस खाकसार ने अपने वक्तव्य में ईस्वामी को भी याद किया और कहा कि जैसा लेखन अनामदास, सृजनशिल्पी, ईस्वामी और घुघुती बासुती जैसे छद्मनामी कर रहे हैं, आधे ब्लॉगरों को वैसा लिखने के लिए एक जन्म और लेना पड़ेगा.
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इस खाकसार ने अपने वक्तव्य में ईस्वामी को भी याद किया और कहा कि जैसा लेखन अनामदास, सृजनशिल्पी, ईस्वामी और घुघुती बासुती जैसे छद्मनामी कर रहे हैं, आधे ब्लॉगरों को वैसा लिखने के लिए एक जन्म और लेना पड़ेगा.
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इस खाकसार ने अपने वक्तव्य में ईस्वामी को भी याद किया और कहा कि जैसा लेखन अनामदास, सृजनशिल्पी, ईस्वामी और घुघुती बासुती जैसे छद्मनामी कर रहे हैं, आधे ब्लॉगरों को वैसा लिखने के लिए एक जन्म और लेना पड़ेगा.
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सोशल मीडिया के छद्मनामी शिखण्डियों द्वारा किये जाने अश्लील भाषायी आक्रमण को दरकिनार भी कर दें तो एक बुद्धिजीवी सम्पादक द्वारा अमर्त्य सेन के बारे में जो कहा गया उसे आज की बदलती भाजपायी वृत्ति के रूप में देखा जाना चाहिए।
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इस खाकसार ने अपने वक्तव्य में ईस्वामी को भी याद किया और कहा कि जैसा लेखन अनामदास, सृजनशिल्पी, ईस्वामी और घुघुती बासुती जैसे छद्मनामी कर रहे हैं, आधे ब्लॉगरों को वैसा लिखने के लिए एक जन्म और लेना पड़ेगा.
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जहां तक ब्लॉगिंग का सवाल है मेरी नजर में उन्होंने जो अनामी, बेनामी, छद्मनामी ब्लॉगरों की नकारात्मक पोस्टों पर वाह, वाही टिप्प्णियां की हैं वह शायद न करते तो मेरी समझ में वे अपना और ब्लॉगजगत का बहुत भला करते।
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ब्लॉगर्स के अलावा फ़ेसबुक आदि पर मुझे वे छद्मनामी लोग भ्रमित करते हैं जो अपना परिचय देने की ज़हमत किये बिना आपको मित्रता अनुरोध भेजते रहते हैं, अब आप सोचते रहिये कि ब्लेज़ पैस्कल रहता कहाँ है या सृजन साम्राज्ञी आपसे कब मिली थी।