| 31. | दिव्यांशु को अपनी इस छबि पर भारी मान था।
|
| 32. | कंदर्प अगणित अमित छबि, नवनील-नीरद सुंदरं |
|
| 33. | कै तरगन कर मुकुर लिये सोभित छबि छायो ।।
|
| 34. | भूमि देखो भूषित छबाबे छबि छवि की।
|
| 35. | श्रीवृंदावन चिदघन, कछु छबि बरनि न जाई;
|
| 36. | गेरू लाल छटा छबि बदन कमल सोहे
|
| 37. | अपनी भारतीयता की रची-बसी छबि में,
|
| 38. | हिय हरषि निरखन हेत छबि जिय अमित मोद बढ़ाइहौं।
|
| 39. | सिंदूरी उबटन से लिपटी छबि तनु की
|
| 40. | सामने इस छबि की कुछ गणना नहीं।
|