सूखी हुई उड़द की छीमी को तोड़ने में तो टंकार शब्द होता है पर संसार में दिन प्रतिदिन बिना टंकारशब्द के बड़ी शीघ्रता के साथ मर्यादा का भंग किया जा रहा है अर्थात् लोग संसार में उड़द की सूखी हुई छीमी के समान बड़ी शीघ्रता से मर्यादा भंग कर रहे हैं, केवल अन्तर इतना ही है कि छीमी को तोड़ने में शब्द होता है, पर मर्यादा को तोड़ने में शब्द भी नहीं होता।
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सूखी हुई उड़द की छीमी को तोड़ने में तो टंकार शब्द होता है पर संसार में दिन प्रतिदिन बिना टंकारशब्द के बड़ी शीघ्रता के साथ मर्यादा का भंग किया जा रहा है अर्थात् लोग संसार में उड़द की सूखी हुई छीमी के समान बड़ी शीघ्रता से मर्यादा भंग कर रहे हैं, केवल अन्तर इतना ही है कि छीमी को तोड़ने में शब्द होता है, पर मर्यादा को तोड़ने में शब्द भी नहीं होता।
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सूखी हुई उड़द की छीमी को तोड़ने में तो टंकार शब्द होता है पर संसार में दिन प्रतिदिन बिना टंकारशब्द के बड़ी शीघ्रता के साथ मर्यादा का भंग किया जा रहा है अर्थात् लोग संसार में उड़द की सूखी हुई छीमी के समान बड़ी शीघ्रता से मर्यादा भंग कर रहे हैं, केवल अन्तर इतना ही है कि छीमी को तोड़ने में शब्द होता है, पर मर्यादा को तोड़ने में शब्द भी नहीं होता।