कोई भी पदार्थ अपनी एक अलग पहचान रखता है और अणु उस पदार्थ का सबसे छोटा कण होता है जिसमें वही गुण होते हैं जो कि उस पदार्थ में होते हैं।
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(1) असुविधाजनक लंबाई (जितना ही छोटा कण होगा एवं जितने ही अधिक ऊर्जा के कण प्राप्त करना चाहेंगे, उतनी ही अधिक लंबाई की आवश्यकता होगी) तथा (2) आयनित धारा की अल्प तीव्रता।
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(1) असुविधाजनक लंबाई (जितना ही छोटा कण होगा एवं जितने ही अधिक ऊर्जा के कण प्राप्त करना चाहेंगे, उतनी ही अधिक लंबाई की आवश्यकता होगी) तथा (2) आयनित धारा की अल्प तीव्रता।
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उस समय कणो को किसी पदार्थ के जलने से प्राप्त कुछ इलेक्ट्रान वोल्ट के तुल्य ऊर्जा ही प्रदान की जा सकती थी, इस कारण हम मानते थे कि परमाणु सबसे छोटा कण है।
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उन्होंने बताया-पदार्थ एवं ऊर्जा निरन्तर एक-दूसरे में बदलते रहते हैं और जिस तरह से पदार्थ का सबसे छोटा कण परमाणु है, उसी तरह से ऊर्जा का सबसे छोटा पैकेट क्वाण्टम है।
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परंतु बहुत छोटे कणों को पारगमित प्रकाश द्वारा देखना असंभव है, क्योंकि जितना प्रकाश एक छोटा कण रोकता है उससे बहुत अधिक प्रकाश उस कण के चारों ओर के बिंदुओं से आँख में पहुँच जाता है।
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परंतु बहुत छोटे कणों को पारगमित प्रकाश द्वारा देखना असंभव है, क्योंकि जितना प्रकाश एक छोटा कण रोकता है उससे बहुत अधिक प्रकाश उस कण के चारों ओर के बिंदुओं से आँख में पहुँच जाता है।
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जिस प्रकार आग का छोटा कण उड़ कर इधर-उधर जाते हुए, पूरा पहाड़ और सारा घर जलाता है, उसी प्रकार एक छोटी बात आसपास के लोगों के बीच नफरत पैदा कर सकती है।
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वाईज़ॉन, मीसॉन, टेक्यॉन और भी इन छोटे-छोटे कणों के बीस साथी-सहचर खोजे जाने के बावजूद अभी तक यह अनिश्चित ही था कि पदार्थ का सबसे छोटा कण आखिर क्या है या फिर है भी अथवा नहीं।
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मिसाल के तौर पर नमक का ज़ायका जिस तरह नमकीन होता है और पानी में घोलने पर घुल जाता है, उसी तरह उसका सबसे छोटा कण यानि कि उसका अणु भी नमकीन होता है और पानी में घोलने पर घुल जाता है।