पौरुषत्व प्राप्ति के लिए जंगली कबूतर की बीट लाकर उसे तेल में मिला लें तथा रात को उसे सामने रखकर रात्रि में निम्न मंत्र का जाप करें: ऊँ कामाय नम: तथा इस तेल की मालिश करने से पुरुषेंद्रिय शक्तिशाली होती है।
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एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि जंगली कबूतर पीने के पानी में यूरिक एसिड या यूरिया जैसे चयापचयी अपशिष्ट की मात्रा के अनुसार भेदभाव नहीं करते हैं (पक्षियों या स्तनधारियों द्वारा क्रमशः मल-या मूत्र-प्रदूषण की नक़ल उतारते हुए).
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एक ताजा अध्ययन से पता चला है कि जंगली कबूतर पीने के पानी में यूरिक एसिड या यूरिया जैसे चयापचयी अपशिष्ट की मात्रा के अनुसार भेदभाव नहीं करते हैं (पक्षियों या स्तनधारियों द्वारा क्रमशः मल-या मूत्र-प्रदूषण की नक़ल उतारते हुए).
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हिमालय का हिम कबूतर, तिब्बत के पठार का पहाड़ी कबूतर और पर्वतीय क्षेत्र के शाही व जंगली कबूतर, अंडमान का जंगली कबूतर, निकोबार का पाइड इंपीरियल कबूतर, पीतवर्णी कबूतर और निकोबारी कबूतर अब इस धरती पर देखना दुर्लभ हैं।
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हिमालय का हिम कबूतर, तिब्बत के पठार का पहाड़ी कबूतर और पर्वतीय क्षेत्र के शाही व जंगली कबूतर, अंडमान का जंगली कबूतर, निकोबार का पाइड इंपीरियल कबूतर, पीतवर्णी कबूतर और निकोबारी कबूतर अब इस धरती पर देखना दुर्लभ हैं।
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चमक रही है परों में उड़ान की खु़शबू बुला रही है हमें आसमान की खुशबू राहत इन्दौरी: अब ग़म आएं,खु़शियाँ आएं,मौत आए या तू आए मैने तो बस आहट पाई और दरवाज़ा खोल दिया मशहूर शायर मुनव्वर राना की किताब सफ़ैद जंगली कबूतर से साभार.
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मसलन, दिन में सियार मुंह उठाकर रोने लगे, जंगली कबूतर घरों में आने लगे, बगीचों में असमय फूल खिलने लगे, घोड़ों ने हरा धान खाना बंद कर दिया, रात में कुत् ते मुंह उठाकर रोने लगे, महलों के फर्श से घास निकल आई।
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आप अपने चाचाजी को निम्न औषधियां दें-१. मल्ल सिंदूर २ ग्राम + हरताल भस्म ३ ग्राम + विषतिंदुक वटी ५ ग्राम + एकांगवीर रस २० ग्राम + जंगली कबूतर की सूखी हुई बीट २० ग्राम + जायफ़ल ५ ग्राम (इस योग में कबूतर की बीट एक महत्त्वपूर्ण घटक है अतः उसे न निकालें अन्यथा लाभ पर्याप्त न होगा।
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आप अपने चाचाजी को निम्न औषधियां दें-१. मल्ल सिंदूर २ ग्राम + हरताल भस्म ३ ग्राम + विषतिंदुक वटी ५ ग्राम + एकांगवीर रस २ ० ग्राम + जंगली कबूतर की सूखी हुई बीट २ ० ग्राम + जायफ़ल ५ ग्राम (इस योग में कबूतर की बीट एक महत्त्वपूर्ण घटक है अतः उसे न निकालें अन्यथा लाभ पर्याप्त न होगा।
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जिन्होंने मासूमों को जलती आग में झोंका था, जिन्होंने धार्मिक स्थलों में बम फोड़े थे, इसलिये मैं इंसान नहीं बनना चाहता, मैं बस एक जंगली कबूतर बनना चाहता हूँ जो अपनी गुटरगू से बीमारी दूर करेगा, जो अपनी चौंच में पानी लाकर जलते हुये इंसानी जिस्मों की आग बुझायेगा, जो किसी के साथ बलात्कार नहीं करेगा जो किसी मासूम की जान नहीं लेगा, जो किसी को आपस में नहीं लड़ायेगा …….