अधिकारों से अपराध करे कहते उसे न्यायअधिकार नहीं तो हो अपराधी अधिकारों से अपराध करे तो दर्जा प्रेम का अधिकार नहीं तो कहते उग्रवादी जन संहार तो जन संहार है अधिकारों से उसे क्या लेना परिणाम तो एक ही हैइंसानों की जान लेना मौत के बदले मौतअपराध के बदले अपराध भी तो अपराध है...
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राहुल गांधी बतायें कि कांग्रेस नेता व पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक मुसलमानों का जन संहार करने के लिये एकजुट हुये जाटों की महापंचायत में क्या करने गये थे? तो वहीं उनके पुत्र और कांग्रेस के विधायक पंकज मलिक पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा के दौरान जाटों को हथियार बंद किया था।
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उनके उस इकबालिया बयान के अनुसार उनको यह मालूम था कि इराक के तत्कालीन राष्ट्रपति, सद्दाम हुसैन के पास सामूहिक जन संहार के हथियार नहीं थे लेकिन उन्होंने खुफिया रिपोर्टों में फेर बदल करके इराक पर हमला करने के लिए तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति, जार्ज डब्ल्यू बुश की योजना को समर्थन दिया था और ब्रिटिश फ़ौज को उस लड़ाई में शामिल कर दिया था.
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उसी तरह से दो दिन में रासायनिक हथियारों को बर्बाद करके वापस आने की बात का भी कोई मतलब नहीं है क्योंकि जब 1998 में संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी के बिना अमरीका और ब्रिटेन ने इराक पर बमबारी शुरू की थी और सामूहिक जन संहार के हथियारों को तहस-नहस करके कार्रवाई खत्म करने की बात की थी, तब भी लड़ाई लम्बी चली थी और कहीं कोई सामूहिक नरसंहार के हथियार नहीं मिले थे।
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इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहम्मद सुलेमान और आईएनएल के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद समी ने कहा कि जिस तरीके से इलाहाबाद में शहीद भगत सिंह विचार मंच और स्त्री मुक्ति लीग की पत्रिका संवेग और प्रतिरोध में गुजरात में हुये जन संहार के जिम्मेवार मोदी को लेकर छपे लेखों पर दोनों संगठनों के कार्यकर्ताओं को धमकाया गया और जब वे थाने गये तो उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गयी यह कहकर कि राजनीतिक मामला है, तो ऐसे में साफ है कि अब सपा के थाने भी हिन्दुत्वादियों के दबाव में कार्य कर रहे हैं।