कुछ पीडायें प्राकृतिक है जिन को समय ने खडा किया है परन्तु अधिकतर ऐसी हैं जिन्हे हम ने स्वंय पाल पोस कर बडा किया है प्रकृति में तो देखा था विषधर विषधर को लीलता है यहां भी कुछ बडे मगर हैं जो जबडा फैलाये हैं कुछ की तौद तो फूल रही है कुछ चेहरे कुम्हलाये हैं
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ज़रूरी नहीं है, औरत के अन्दर अन्ज़ाइना के परम्परा गत लक्ष्ण (सीने में दर्द हो, दर्द भी रेदिअतिग हो) हों-सिर्फ़ ब्रेथलेस-नेस भी हो सकती है-दर्द कहीं से भी उठ सकता है, कमर, उपरी बाजू, ग्रोइन (पेट औरजांघ के बीच का भाग, उरू-संधि), जाज़ (जबडा).
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हम आपका ध्यान झारखण्ड के लोहरदगा स्थित हंटरगंज के मुर्की तोडार पंचायत के ठकरू उराव (साल-60) व उनकी पत्नी तेतरी उराव (साल-55) तथा जबडा के चिरैयाटाड. के जीतन मान्झी व उनकी पत्नी कपूरवा देवी की हत्या डायन बताकर की गयी, इस वर्ष लगभग 150 मामले इस तरह के सम्बन्धित राज्य मे घट चुका है, पुलिस थाने मे 1200 मामले दर्ज भी है, फिर भी नर बलि रुकने का नाम नही ले रही है, इस कुप्रथा से राज्य के कई जिले प्रभावित है!